Saturday, 25 February 2017

रात में नींद नहीं आती तो 1 चम्‍मच सोने से पहले लें इसे...

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यह घरेलू नुस्‍खा केवल दो सामग्रियों से मिल कर बनता है। साथ ही इसके कोई साइड इफेक्‍ट्स भी नहीं होते। तो आइये जानते हैं इसे कैसे बनाते हैं और कैसे सेवन करते हैं।

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जाते ही आपकी नींद छू मंतर हो जाती? क्‍या आप की नींद बीच रात में खुल जाती है और दुबारा आने का नाम नहीं लेती? अगर ऐसा है, तो परेशान ना हों क्‍योंकि यह हर किसी के साथ कभी ना कभी जरुर होता है।

लेकिन अगर यह समस्‍या लंबे समय तक बरकरार रहती है, तो आपको हेल्‍थ से जुड़ी काफी समस्‍या हो सकती है। आज हम अनिन्‍द्रा से जुड़ा एक घरेलू नुस्‍खा बताएंगे, जिसको नियमित आजमा कर आप चैन की नींद सो सकते हैं।

यह घरेलू नुस्‍खा केवल दो सामग्रियों से मिल कर बनता है। साथ ही इसके कोई साइड इफेक्‍ट्स भी नहीं होते। तो आइये जानते हैं इसे कैसे बनाते हैं और कैसे सेवन करते हैं।

सामग्री- 1 चम्‍मच सेंधा नमक
8 चम्‍मच कच्‍ची शहद
बनाने की विधि - इन दोंनो चीजों को मिक्‍स कर के एक जार में डाल लें और ढंक दें।
इसे कैसे करें प्रयोग?
हर रात सोने से कुछ मिनट पहले इस घरेलू मिश्रण को लें। आप जैसे ही इसे अपनी जीभ पर रखेंगे, यह वैसे ही मुंह में घुल जाएगी। यदि आप चाहें तो इसे हल्‍के गुनगुने पानी में मिला कर भी पी सकते हैं।


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डॉक्टर के पास जाने से पहले करें ये तैयारियां

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स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है संभावित स्वस्थ्य समस्या के लक्षणों पर नज़र रखना और समय पर डॉक्टरी मदद लेना, लेकिन डॉक्टर के पास जाने से पहले भी तैयारी की ज़रूरत होती है।
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घरेलू नुस्खे हिंदी में  Health Tips in Hindi

  • अधिकांश लोगों के लिए डॉक्टर के पास जाना एक मुश्किल प्रक्रिया होती है। रोगियों की भीड़ से भरे प्रतीक्षा कक्ष में इंतज़ार मानो ख़त्म ही नहीं होता और इसी थकाने वाले इंतज़ार की वजह से आपकी बीमारी की हालत को और बुरी होने लगती है और आप खुद को और ज्यादा बीमार महसूस करने लगते हो।  और जब इंतज़ार ख़त्म हो भी जाए तो बस डॉक्टर के कुछ मिनटों से ही तसल्ली करनी पड़ती है। ज़्यादातर मामलों ऐसा ही होता है, लेकिन डॉक्टर के इन कुछ मिनटों का भी भरपूर फायदा कैसे उठाया जा सकता है बशर्ते सही तैयारी की जाए। तो चलिये जाने कि डॉक्टर के पास जाने से पहले क्या तैयारी करें।
  • क्या थकान रहना कोई बीमारी है? या यह अन्य बीमारियों का एक लक्षण है? या फिर यह कुछ भी नहीं, बस मन का वह़म है? जब भी आपको लगातार लंबे समय तक थकान महसूस हो तो इस सिलसिले में अपने डॉक्टर से ज़रूर मिलें, और मिलने जाएं तो इन तीनों ही संभावनाओं के बारे में मन से तैयार होकर जाएं। 
    मेडिकल केयर में डॉक्टर के स्टाफों की भी अहम भूमिका होती है, और आपको चिकित्सा की कार्य-प्रणाली को समझने की ज़रुरत होगी तो स्टाफ मेंबर (रिसेप्शनिस्ट, नर्स या कोइ असिस्टेंट) के साथ आपका अच्छा सम्बन्ध बहुत सहायक साबित हो सकता है। तो उसके साथ भी सहज रहें। डॉक्टर के पास जाने से पहले होमवर्क करना ज़रूरी होता है। डॉक्टर के दिये समय का सही इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह तैयार हों। कई अध्ययनों से पता चलता है कि डॉक्टर के सामने हम अपनी कई समस्याएं रखना ही भूल जाते हैं। 
  • इसके लिए अपनी समस्याओं की पूरी सूची तैयार करें। इस प्रकार आप डॉक्टर को बिलकुल सटीक उपचार देने में मदद करेंगे।  बीमारी से जुड़े अपने सारे लक्षण सूचीबद्ध तरीके से डॉक्टर को बताएं। बीमारी का पहला लक्षण आपने कब महसूस किया, समस्या के संभव कारण क्या हैं आदि की सही जानकारियों से डॉक्टर को महत्वपूर्ण सुराग मिलते हैं। इसलिए सब कुछ बताएं और सच बताएं। अपने डॉक्टर से मिलने के बाद अपने मर्ज़ के बारे में पूछें। यह पूछने में हिचकें नहीं कि आपकी समस्या क्या है। कई डॉक्टर मरीजों को उनकी दिक्कतों का ठीक-ठीक नाम नहीं बताते, तो अगर आप यह सवाल नहीं पूछेंगे तो आपको सही जवाब नहीं मिलेगा। 
  •  यदि आप डॉक्टर के बताए उपचार से सहमत नहीं हैं, तो उन्हें यह खुल कर बताएं, क्योंकि यदि आप सहमत नहीं हैं तो उनके सलाहों और उपचार को ठीक से अपना भी नहीं पाएंगे। आपके डॉक्टर के पास हमेशा आपके सारे सवालों के जवाब हों, यह ज़रूरी नहीं है। लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि उपचार एक प्रक्रिया है और इसके लिए सही निष्कर्ष तक पहुंचना बहुत ज़रूरी है, जिसमें समय लग सकता है।  

  •   डॉक्टर के साथ चल रहे परामर्श सत्र के आखिर में अगली मीटिंग का समय तय करने की कोशिश करें। अगर अगला सत्र फोन पर किया जा सकता हो तो वैसा ज्यादा बेहतर होता है, तो ऐसा ही करने की कोशिश करें। ऐसा करके आप आपना वक्त और पैसा दोनों बचा पाएंगे।  डॉक्टर के साथ परामर्श के लिए जाते समय किसी करीबी या संबंधी को अपने साथ रखने की कोशिश करें, क्योंकि उनके साथ होने पर आपका आत्मविश्वास भी बना रहता है और वे ज़रूरी जानकारियां भी याद रहती हैं जो आप भल सकते हैं। वहीं उनके साथ होने से आपका तनाव कम होगा और आपको प्रासंगिक प्रश्न पूछने का भी साहस मिलेगा।  
  • आपको अपने सारे मेडिकल रिकॉर्ड और परीक्षणों की फोटोकॉपी साथ लेकर जाना चाहिए। ताकि ज़रुरत पड़ने पर आप डॉक्टर को इन्हें दिखआ सकें। लेकिन रिपोर्ट्स की मूल कॉपी हमेशा अपने साथ ही रखें। सुनिश्चित करें कि आप मेडिकल रिकॉर्ड में मौजूद सारी जानकारियों को ठीक प्रकार से समझते हैं। 














  • यदि थकान किसी अन्य बीमारी की वजह से होती है तो और लक्षण भी ज़रूर होते हैं। कई बार थकान इतनी ज्यादा हो जाती है कि हम इसकी वजह से दूसरे छोटे-मोटे लक्षणों पर ध्यान ही नहीं दे पाते। इसलिए सभी लक्षणों पर ध्यान दें और डॉक्टर को पूरी बात बताएं। 



























साभार - OnlyMyHealth
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इन 8 संकेतों से जानें स्‍कूल में आपका बच्‍चा किया जा रहा परेशान

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स्कूल में कभी बगल वाली सीट पर बैठने वाले दोस्त का पेंसिल बॉक्स छीन लेना तो कभी आगे बैठे स्टूडेंट को दिन भर किसी न किसी बहाने से तंग करना, सुनने में तो ये बहुत मामूली सी बातें लगती हैं लेकिन असल में यह बुलिंग है।
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आपने कभी सोचा है स्कूल जाने के नाम पर आपका बच्चा क्यों डर जाता है और नाक मुंह सिकोड़ने लगता है। महज डांटकर उसे स्कूल भेज देने भर से आपकी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। स्कूल में आपके बच्चे के दोस्त कहीं अनजाने में ही सही उसे परेशान तो नहीं कर रहे। आप बच्चे की पढ़ाई पर तो पूरा ध्यान देते हैं पर क्या इन छोटी-छोटी बातों पर भी आपकी नजर रहती है। आइये जानते हैं कि बच्चों के किन 8 संकेतों से आप जान सकते हैं कि वो स्कूल में बुलिंग का शिकार हो रहे हैं।
स्कूल से आने के बाद अगर आपके बच्चे के शरीर पर आपको कुछ चोटें दिखती हैं तो उन्हें अनदेखा न करें। अक्सर पेरेंट्स बच्चे की छोटी मोटी चोट को ये सोचकर दरकिनार कर देते हैं कि बच्चों को खेलते वक्त चोटें लगती हैं। लेकिन अगर आपके बच्चे को अक्सर खरोंच, छिलने कटने जैसे चोट लगती है जिसका कारण वो ठीक से आपको नहीं बता पा रहा तो हो सकता है कि आपका बच्चा स्कूल में बुली का शिकार हो रहा हो।
बच्चे स्वभाव से चंचल होते हैं, बने बनाए रूटीन से अक्सर उन्हें ऊब हो जाती है तो वो स्कूल जाने से इनकार करते हैं लेकिन अगर आपका बच्चा रोज रोज स्कूल जाने से मना करता है, तो हो सकता है उसे स्कूल में सताया जा रहा हो। आपके बच्चे की स्कूल न जाने की जिद के पीछे ये कारण भी हो सकता है।
अगर आपका होशियार बच्चा अचानक खराब ग्रेड लाने लगे, उसके टेस्ट में अक्सर कम नंबर आएं और वो पढ़ाई में मन न लगा पाए तो ध्यान दे, ये संकेत हो सकता है इस बात का कि आपके बच्चे को स्कूल में परेशान किया जा रहा है। ये स्कूल बुलिंग का सबसे सामान्य लक्षण है।
आपका बच्चा स्कूल से लौटकर आपसे कोई बात नहीं करता। सीधा अपने कमरे में जाकर लेट जाता है या आपके कुछ पूछने पर चिड़चिड़ा हो जाता है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। हो सकता है आपके बच्चे के साथ स्कूल में कुछ गलत हो रहा हो जिसकी वजह से वो भारी तनाव में आने लगा हो।
बच्चे अक्सर अपने स्कूल को लेकर अच्छी बुरी बातें करते रहते हैं। ये बच्चों की सामान्य आदत में से एक है। लेकिन अगर आपका बच्चा अपने स्कूल के बारे में सिर्फ नफरत भरी बातें करता है, वो स्कूल से हमेशा खफा-खफा रहता है तो आपको इस बात को गंभीरता से लेने की जरूरत है। हो सकता है कि स्कूल की कोई बात उसे इतनी तंग करती हो कि उसे स्कूल से ही नफरत होने लगी हो।
बच्चों की आदत होती है कि वो अपने स्कूल के बारे में अपने पेरेंट्स को बताते रहते हैं। लेकिन जब आपका बच्चा अपने स्कूल से जुड़ी किसी भी बात पर चर्चा करने से इनकार कर दे, स्कूल का नाम आने पर वो यहां वहां बहाने से चले जाए तो हो सकता है कि स्कूल में जो हो रहा है उसकी वजह से वो परेशान है। वो स्कूल की चर्चा तक नहीं करना चाहता। बच्चे के इस लक्षण को गंभीरता से लें।
अगर किसी बच्चे के साथ स्कूल में बुलिंग होती है तो देखा जाता है कि इसका प्रभाव बच्चे के अन्य लोगों के साथ संबंधों पर पड़ने लगता है। मसलन, बच्चा अपने पड़ोसी दोस्त से बेवजह गुस्सा हो जाता है, अपने बड़े भाई या बहन से बहुत डरने लगता है या फिर उनसे बातचीत कतरे से कतराता है। बच्चे को भीड़ वाली जगह में जाने से घबराहट भी हो सकती है।
स्कूल में बुलिंग के शिकार बच्चों की खाने-पीने संबंधी आदतें भी बदल सकती हैं। बच्चा खाना बहुत कम कर सकता है या फिर उसे बहुत ज्यादा भूख लगने लग सकती है। अगर ऐसा हो रहा है तो आप अपने बच्चे से बात करने की कोशिश करें, समझने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों हो रहा है।

साभार - OnlyMyHealth
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इन 6 आश्‍चर्यजनक बीमारियों के बारे में बताते हैं आपके हाथ

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हाथ शरीर के सबसे ज़रूरी अंगों में से एख होता हैं, अधिकतर कामों को करने में हाथों की बेहद अहम भूमिका होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ कई आश्‍चर्यजनक बीमारियों के बारे में भी बताते हैं। चलिये जानें -
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एक आर्थराइटिस व रूमटिज़म स्टडी के मुताबिक जिन महिलाओं में अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) की लम्बाई उनकी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) से अधिक होती है, में घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की संभावना दोगुनी होती है। एस्ट्रोजन का कम स्तर इसका एक कारक हो सकता है। वहीं पुरुषों में लंबी अनामिका उंगली (दूसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय टेस्टोस्टेरोन वृद्धि का संकेत) को अधिक बच्चों और महिलाओं के साथ बेहतर रिश्ते होने से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन ऐसा होने पर उनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है।
हाथ कांपना बहुत ज्यादा कैफीन या फिर कुछ क्रिएटिन मेडिसन जैसे अस्थमा की दवाओं या एंटीड्रिप्रेशन के साइड इफेक्ट का परिणाम हो सकता है। लेकिन यदि ऐसा लगातार हो रहा है तो बेहतर होगा कि आप अ पने डॉक्टर से इस बारे में बात करें। सिर्फ एक हाथ का कांपना पार्किंसंस रोग की शुरुआत का एक लक्षण भी हो सकता है।
जब भारतीय शोधकर्तओं ने क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित 100 रोगियों की शोध की तो उन्होंने पाया कि 36 प्रतिशत रोगियों के नाखूनों के नीचे का हिस्सा सफेद और ऊपर का भूरे रंग का था। नाखूनों की ये स्थिति कुछ हार्मोनों का स्तर या एनीमिया एनीमिया बढ़ा होने के कारण हो सकती है। ये दोनों ही क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण होते हैं। अगर आपको आधे नाखून का रंग बदला या नाखूनों के नीचे के आधार पर ऊर्ध्वाधर पट्टी दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, ये यह मेलेनोमा, जो कि एएक त्वचा कैंसर है, हो सकता है।  
17 देशों में लगभग 140,000 वयस्कों पर हुई लैंसेट स्टडी के अनुसार हाथों की कमज़ोर पकड़ दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा तथा जीवित रहने की कम संभावना होने का इशारा करती है। हाथों की पकड़ की मजबूती समग्र मांसपेशियों की ताकत और फिटनेस के लिए एक मार्कर है। शोधकर्ता, हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए पूरे शरीर के लिये स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज की सलाह देते हैं।
पीढ़ी चिपचिपा हाथ रजोनिवृत्ति या थायराइड की स्थिति का एक लक्षण हो सकता है। साथ ही यह लक्षण हाइपरहाइड्रोसिस का भी हो सकते हैं, जिसमें पसीने की ग्रंथियों से आवश्यक से अधिक पसीना आता है। इससे ग्रस्थ अधिकांश लोगों को शरीर के केवल एक या दो भागों जैसे कांख, हथेलियों या पैर से पसीना आता है। ऐसे में डॉक्टर पसीने के उत्पादन को कम करने के लिये स्वेदरोधक (antiperspirant) दे सकता है।
जब ब्रिटीश शोधकर्ताओं ने 139 फिंगरप्रिंट्स की जांच की तो पाया कि एक या अधिक अंगुलियों पर वोर्ल (घुमावदार) पैटर्न फिंगरप्रिंट्स वाले लोगों को  
वृत्त-खंड या कुंडली (arches or loops) के फिंगरप्रिंट्स वाले लोगों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर होने संभावना थी।

साभार - OnlyMyHealth
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आपके कलाई की रेखाओं में छुपा है आपके स्वास्थ्य का राज

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पहली लाइन जब टूटी हो
अगर आपके कलाई में तीन रेखाएं है और उसमें से पहली रेखा टूटी हुई और हल्की हो तो ये कमजोर स्वास्थ्य की निशानी है। आपका स्वास्थ्य जीवन भर खराब रहेगा।
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महिला की जब टूटी हो लाइन
अगर किसी महिला के कलाई में तीन लाइन हो और उसमें से पहले लाइन टूट कर अंदर की तरफ हथेली में जा रही है तो उस महिला को प्रेगनेंसी से संबंधित समस्या हो सकती है।

पुरुष की हो जब लाइन टूटी
अगर किसी पुरुष की कलाई की पहली लाइन टूटी है तो उसके जिंदगी में एक बार उसकी बहुत ज्यादा तबियत खराब होगी। साथ ही उसे लो स्पर्म काउंट की समस्या होगी। इन्हें प्रोस्टेट ग्लैंड से भी जुड़ी समस्या होती है।

अच्छे जीवन की निशानी
जिस इंसान की कलाई में तीन रेखाएं हैं और दूसरी लाइन डार्क रंग में और साफ हो तो ये उसके अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। ऐसे लोगों की मेमोरी पावर अच्छी होती है जिसके कारण ये अच्छा काम करते हैं और जीवन में अच्छा पैसा कमाते हैं।

प्रसिद्धि की है सूचक
कलाई पर तीन रेखाएं कम ही इंसानों की होती हैं। लेकिन ये जिस भी इंसान के हाथों में होती है उसे आगे चलकर जीवन में बहुत सारी प्रसिद्धि मिलती है। ऐसे इंसान की संवादशक्ति काफी अच्छी होती है और वो काफी एक्टिव रहता है। जिसके कारण ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में काफी सफलता अर्जित करते हैं।

पैसा, नाम और सफलता
किसी भी इंसान की कलाई में चार रेखाएं नहीं होती हैं। लेकिन जिसकी कलाई में चार रेखाएं होती हैं उसे मनचाहा जीवन मिलता है। ऐसे लोग ताउम्र स्वस्थ रहते हैं और जिंदगी भर काम करते रहते हैं।

अगर हो एक लकीर
ये अच्छे स्वास्थ्य की निशानी नहीं है। जिस इंसान के कलाई पर केवल एक लकीर होती है वो जीवन भर बीमार रहता है और जिंदगी में कोई ना कोई उसे लाइलाज बीमारी जरूर होती है। इसके कारण उसके पास हमेशा पैसों की कमी रहती है।

साभार - OnlyMyHealth
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बुखार में ठंडे पानी की पट्टियां सिर पर रखना सही है या गलत

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क्या बुखार में ठंडे पानी की पट्टियां रखने से वैज्ञानिक तौर पर भी फायदा होता है? अगर हां तो कितना, क्‍या बुख़ार होने पर ठंडे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए? चलिये विस्तार से जानें।
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हम बचपन से देखते आ रहे हैं कि जब कभी भी बुखार आता है तो मां सिर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखती है। लोग सलाह भी देते हैं कि बुख़ार उतारने के लिए ठंडे पानी की पट्टियां रखें। लेकिन क्या बुखार में ठंडे पानी की पट्टियां रखने से वैज्ञानिक तौर पर भी फायदा होता है? अगर हां तो कितना, क्‍या बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टियां रखना सही है, चलिये आज इस बारे में विस्तार से जानते हैं -

जब बुखार 101 डिग्री फैरेनहाइट से ऊपर जाता है तो स्थिति गंभीर हो जाती है। और फिर इसके 103 डिग्री फैरेनहाइट तक पहुंचने पर बहुत ज्यादा घबराहट होती है। ऐसे में डॉक्टर बुखार के लिए दवाएं तो देते हैं लेकिन कई बार दवाएं खाने के बावजूद शरीर का तापमान सामान्य नहीं होता है। ऐसे में ठंडे पानी की पट्टियों या स्पंज को माथे पर रखने से बुखार को कम करने की कोशिश की जाती है।

जब बुखार 102 डिग्री फैरेनहाइट से उपर जाए तो उसे नियंत्रित करना ज़रूरी हो जाता है नहीं तो इससे दौरा भी पड़ सकता है। ठंडे पानी की पट्टियां या स्पंज करने से तापमान कम करके मरीज़ को राहत पहुंचाई जा सकती है। छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों के साथ ये तरीका अपनाया जा सकता है क्योंकि उन्हें बुखार बहुत तेज होने पर दौरा पड़ने का आशंका अधिक रहता है।

पट्टी करने के लिये बर्फ के पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। इसके लिये हमेशा ताज़ा पानी ही लें। डॉक्टर रमन कुमार के अनुसार सिर्फ सिर, माथा और हथेली पर पानी की पट्टियां रखने से फायदा अधिक नहीं होगा, इसके लिए पूरे शरीर में स्पंज या पट्टियां करनी चाहिए। बल्कि अगर मरीज़ बहुत ज्यादा कमज़ोरी महसूस न कर रहा हो तो उसे नहाना भी चाहिए। इससे उसका तापमान सामान्य होता है।

बर्फ के पानी का इस्तेमाल केवल तभी करना चाहिए जब बुखार 104 से105 डिग्री फैरेनहाइट तक हो गया हो। ध्यान रहे कि स्पंजिंग बुखार के लिए स्थायी उपचार नहीं है बल्कि तापमान को सामान्य करने का तरीका है। बैक्टीरिया आ वायरस से लड़ने के लिए शरीर को उचित दवाओं की आवश्यकता होती है। इसलिए डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिये।

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विदेश पढ़ने जा रहे हैं तो इन 5 बातों का रखें खास ध्यान

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हमारे देश से हर साल हजारों बच्चे विदेश में पढ़ने के लिए जाते हैं। कई बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं तो कुछ बच्चे शौक के लिए जाते हैं। आज हम आपको ऐसी 7 बातें बता रहे हैं जिन्हें विदेश जाने से पहले जरूर पढ़ें।
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  • भारत से बाहर अगर आप किसी भी देश में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं तो पहले उक्त संस्थान की अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें। कई बार कुछ फर्जी संस्थान भी होती हैं जो तरह-तरह के प्रलोभन देकर हमें विदेश तो बुला लेते हैं, लेकिन बाद में हमारा फायदा उठाते हैं। इसलिए जाने से पहले बारीकी से जांच कर लें।




वैसे तो कई देश ऐसे हैं जो अच्छी यूनिवर्सिटीज तथा कॉलेज के लिए जाने जाते हैं। इसलिए ऐसे सही देशों का ही चुनाव करें। देश ऐसा होना चाहिए जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सके और अच्छी शिक्षा के साथ आपका मनोबल भी बढ़ा सके।

अधिकतर सभी विश्वविद्यालय बाहर से आने वाले अच्छे और लायक बच्चों को छात्रवृत्ती के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। लेकिन कई विश्वविद्यालय ये सुविधा नहीं भी देते हैं।  इसलिए विदेश जाने से पहले विश्वविद्यालय से इस की पूरी जानकारी ले लें कि वहां छात्रवृत्ती यानि कि स्कॉलरशिप की सुविधा है या नहीं। इससे आपका काफी खर्चा बच सकता है।

कई विश्वविद्यालय अनुभवी और होनहार बच्चों को पढ़ाई पूरी होते ही नौकरी की सुविधा भी देते हैं। इतना ही नहीं वे फोन पर, ईमेल पर या आमने-सामने मिल कर छात्रों को सही कोर्स तथा करियर चुनने में भी मदद करते हैं। विदेश जाने से पहले छात्रों को इस विषय पर भी चर्चा करनी चाहिए।

अगर आपको विदेश जाना है तो स्वाभाविक सी बात है कि आपको वीजा की जरूरत होगी। इस बात को सुनिश्चित कर लें कि जितने साल के लिए आप पढ़ने जा रहे हैं उस दौरान आपको वीजा के संबंध में कोई दिक्कत तो नहीं होगी। इसके अलावा सभी जरूरी दस्तावेजों तथा आवश्यक स्वीकृतियों को भी समय से हासिल कर लें। इनमें देरी होने पर आपको समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

साभार - OnlyMyHealth
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ट्रेवलिंग के दौरान हेल्दी रहने के लिए ये 5 चीजें खाएं

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घूमना-फिरना हर किसी को पसंद है लेकिन इस घूमने-फिरने के बाद हालत बहुत खराब हो जाती है और कईयों की तो ट्रेवलिंग के बाद तबियत भी खराब हो जाती है। अगर आपकी भी यही स्थिति होती है तो ट्रेवलिंग के दौरान ये चीजें खाएं। ये चीजें आपको हेल्दी रखेंगी।
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  • सूखे मेवों में बादाम, किशमिश, छुहारे, अंजीर, काजू, पिस्ता आते हैं। इन चीजों को एक साथ मिक्स करें और अपने बैग कर लें। ट्रेवलिंग के दौरान जब भी भूख लगे तो बाहर से जूस लें और जूस के साथ इन्हें खाएं। ये आपको पूरे दिन भर एनर्जेटिक रखेंगे और शरीर में पोषक-तत्वों की कमी भी नहीं होने देंगे। 
  • नोट- इन सूखे मेवों में बादाम कम और अंजीर अधिक रखें। क्योंकि बादाम गर्म करते हैं। वहीं अंजीर के सेवन से सिरदर्द की समस्या नहीं होती जो सामान्य तौर पर ट्रेवलिंग के दौरान लोगों को होती है।







ट्रेवलिंग के दौरान अपने बैग में फलों का पैकेट रख लें। लेकिन केला नहीं। क्योंकि वो थोड़ी सी गर्मी में ही खराब हो जाते हैं। सेब और संतरे रखें। ये ज्यादा दिन तक चलेंगे भी और ये आपको हाइड्रेट भी रखेंगे।

घूमने जाने के दौरान अपने लिए खूब सारे सेंडविच बनाकर रख लें। अगर अधिक गर्मी पड़ रही है तो ब्रेड का पैकेट, मक्खन, पालक-मटर और अपनी पसंदीदा सब्जी रख लें। औऱ जब भी भूख लगे तो सेंडविच बना कर खा लें। ये टेस्टी भी होंगे और हेल्दी भी।

ट्रेवलिंग के दौरान रोटी-सब्जी किसी को खाने मन नहीं करता और इसलिए कोई बनाकर ले भी नहीं जाता। ट्रेवलिंग के दौरान लोग सबसे ज्यादा चाट का मजा लेते हैं। लेकिन कभी-कभी ये चाट आपको फुड प्वाजनिंग भी कर देती है। इस स्थिति से बचने के लिए वेजीटेबल चाट बनाकर अपने साथ रख लें। इससे आपके शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी और आपके चटपटा खाने की तमन्ना भी पूरी हो जाएगी।

इन सब चीजों के अलावा अपने लिए चॉकलेट्स का डिब्बा रखना ना भूलें। क्योंकि घूमने-फिरने के दौरान लोगों में सबसे ज्यादा ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या होती है। इसलिए बी पी को मेंटेन रखने के लिए अपने पास चॉकलेट बॉक्स जरूर रखें। चॉकलेट्स का एक और फायदा है। ये आपकी त्वचा को धूप की पैराबैंगनी किरणों से बचाने का भी काम करती है।
नोट- इन सब चीजों के साथ अपने साथ पानी की बोतल रखना ना भूलें। आप पानी की बोतल खरीद सकती हैं। लेकिन फिर भी हमेशा घर से पानी की बोतल लेकर निकलें।


साभार - OnlyMyHealth
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जानें कभी डायटिंग न करने वाली महिलाओं के फिटनेस का राज़

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कई बार हम ऐसे लोगों को देखते हैं जो स्लिम होने के लिये खास चीज़ें नहीं करते फिर भी फिट और स्लिम रहते हैं। दरअसल इसके पीछे उनकी ये आदतें होती हैं, आप भी जानें।
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पड़ोस वाली शीला न तो जिम जाती है और न ही उसका कोई पर्सनल फटनेस ट्रेनर है, फिर भला वो इतनी स्लिम और फिट कैसे है, फिर भला ऐसा कौन सा राज़ हैं, जिसे वो छुपा कर रखती है! जी हां कई बार हम ऐसे लोगों को देखते हैं जो स्लिम होने के लिये कोई खास चीज़ नहीं करते लेकिन फिर भी फिट और स्लिम रहत हैं। इसके पीछे कुछ खास वजहें होती हैं, जैसे कि उनके जीन, इसके अलावा उनकी दिनचर्या की कुछ आदतें, जो कि उन्हें पतला रहने में मदद करती हैं। तो चलिये आज इन हेल्दी आदतों, जिन्हें आप राज़ कहती हैं, से पर्दा उठाते हैं और आपको भी बिना डाइटिंग के फिट और स्लिम रहने के गुर सिखाते हैं।    
कुछ अध्ययन बताते हैं कि रोजाना 10 मिनट तक जोर-जोर से दिल खोल कर हंसने से तकरीबन 50 किलो कैलोरी तक बर्न की जा सकती हैं। साथ ही इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता और रक्त प्रवाह भी बेहतर होते हैं। बच्चे दिन में करीब 300 बार तक हंस सकते हैं, देखिये वे कितने फिट और एक्टिव होते हैं। हंसी के अलावा जो व्यक्ति रात में अच्छी नींद ले पाते हैं उनका स्वास्थ्य अच्छा होता है और मोटापे की समस्या भी कम होती है। लेकिन ज्यादा इसका मतलब ये नहीं की आप सोते ही रहें, ज्यादा सोने का शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। सात से आठ घंटे की नींद लेना काफी होता है। 
घर की सफाई के लिए झाडू-पौंछा करना हो या चादरें बदलनी हों या फिर डेकोरेशन का काम हो, इन सभी कामों में काफी ऊर्जा खर्च होती है और पूरा व्यायाम हो जाता है। ये महिलाएं अपने घरेलू कामों में अपना अधिक से अधिक समय खर्च करती हैं और स्लिम रहती हैं।  
ये महिलाएं हफ्ते में कम से कम पांच दिन तक घर पर ही खाना बनाती हैं। एक रिपोर्ट के सर्वेक्षण में देखा गया कि वजन कम करने में कामयाब  हुए लोगों में ये आदत सामान्य थी और शीर्ष पर थी। इसके अलावा वे कभी-कभी डरावनी फिल्में भी देख लेती हैं। दरअसल इंग्लैंड की वैस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार हॉरर फिल्में देखते हुए कोई औसत वयस्क तकरीबन 133 किलो कैलोरी तक बर्न करता है। दरअसल जब हम किसी डरावने दृश्य से डरते और घबराते हैं तो एड्रीनेलिन हार्मोन निकलता है जिससे दिल की धड़कनें दोगुनी हो जाती हैं। लेकिन अगर आपका दिल कमज़ोर हो तो दूसरा विकल्प रहने ही दें। 
ये स्लिम महिलाएं रोज़ हैवी नाशता करती हैं, और बिना टाइम की भूखलगती है तो फल खाती हैं। ये डाइट में सलाद को जरूर रखती हैं। इसके अलावा बेहद जरूरी बात कि ये खाने को देर तक चबा कर खाती हैं। ये स्लिम महिलाएं शाम को सात बजे के बाद खाना नहीं खाती हैं। ये पानी भी खूब सारा पीती हैं। 
साभार - OnlyMyHealth
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Tuesday, 21 February 2017

शरीर के इन अंगों को छूने से आप पड़ सकते हैं बीमार

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हमारे शरीर के ही कुछ अंग ऐसे है, जिन्हें हमें नहीं छूना चाहिए, लेकिन हम इन्‍हें छूने से बाज नहीं आते। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इन्‍हें छूने से बैक्‍टीरिया इनके माध्‍यम से शरीर में जाकर आपको बीमार बना सकता हैं।
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हर किसी को स्‍वस्‍थ शरीर की इच्‍छा होती है, लेकिन जाने-अनजाने में हम अपने ही शरीर को नुकसान पहुंचते है। दरअसल हमारे शरीर के ही कुछ अंग ऐसे है, जिन्हें हमें नहीं छूना चाहिए, लेकिन हम इन्‍हें छूने से बाज नहीं आते। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि इन्‍हें छूने से बैक्‍टीरिया इनके माध्‍यम से शरीर में जाकर आपको बीमार बना सकता हैं। कई शोध बताते हैं, कि हाथ शरीर में बैक्‍टीरिया के प्रसारण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। जोकि आपको बीमार बना सकता है। आइए जानें शरीर के किन अंगों को छूने से आप बीमारी को न्‍यौता दे सकते हैं।

मुंह के जरिये बीमारियां जल्दी ही शरीर तक पहुंच जाती है। इसलिए उंगलियों को बार-बार मुंह और होठों पर न रखे, वर्ना उंगलियों के बैक्‍टीरिया मुंह में चले जाएंगे। शोधों के अनुसार आपके मुंह में लगभग 600 बैक्‍टीरियों का वास होता है। शरीर में होने वाले इंफेक्‍शन के लिए यहीं बैक्‍टीरिया जिम्‍मेदार होते हैं।

बगल, जिसे आर्मपिट भी कहा जाता है, इसमें लगभग 80 हजार बैक्‍टीरिया होते हैं। इसी कारण से पसीना के बाद बगल से दुर्गंध आने लगती है। इसलिए आपको अपनी बगल को छूने से बचना चाहिए और हर दिन अपनी बगल को अच्‍छे से साफ करना चाहिए और नियमित रूप से बालों को हटा लेना चाहिए।

कान में खुजली हुई नहीं कि लगे उंगली से साफ करने। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि कान, शरीर का सबसे गंदा हिस्‍सा हैं। इनमें मौजूद वैक्‍स के कारण कान में बैक्‍टीरिया पनपने लगते हैं। अगर आपको कानों में खुजली होती हैं तो उंगली की बजाए ईयर बर्ड्स का इस्तेमाल करना चाहिए। और कानों को हमेशा साफ रखना चाहिए।
नाक में उंगली नहीं डालनी चाहिए, क्योंकि नाक से सांस के द्वारा बैक्टीरिया शरीर के अंदर तक पहुंच जाते है। इसलिए, नाक को दिन में दो से तीन बार साफ पानी से साफ करना चाहिए। और अगर आपको नाक में अंगुली डालने की आदत हैं तो इस गंदी आदत को छोड़ दें।

नाभि दिखने में बेहद साफ लगती है, लेकिन वह साफ होती नहीं है। इसमें कई सारे बैक्‍टीरिया छुपकर बैठे होते हैं। इसलिए इसे छूने से बचें और नहाने के दौरान रोजाना इसे अच्‍छे से साफ करें।
शरीर का पिछला हिस्‍सा, खासकर एनल गंदा होता है। इसमें काफी सारे बैक्‍टीरिया वास करते हैं। इसलिए इसे छूने से बचना चाहिए

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आपके शरीर के बारे में आपसे बताये गये हैं ये 5 झूठ

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शरीर के बारे में कई बातें ऐसी हैं जिनको लेकर आपको बहुत सी गलत जानकारी दी गई है, इनके बारे में जानने के लिए इस स्लाइडशो को पढ़ें।
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किसी बात पर आंख मूंदकर विश्वास करना कहां तक सही है खासकर तब जब बात आपके शरीर से संबंधित हो। कई बार आपको लगता है कि यह बात बहुत ही रुचिकर है तो आप अकारण ही इसपर विश्वास कर लेते हैं जबकि विज्ञान इसे नकारता है। बचपन से लेकर अब तक आपके शरीर के बारे में बताये गई 90 से 95 प्रतिशत बातें गलत होती हैं। इंडियाना यूनिविर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की मानें तो 69 प्रतिशत सेक्स से संबंधित बातें गलत होती हैं। इस स्लाइडशो में हम आपको उन बातों के बारे में बता रहे हैं जो कि गलत हैं।

यह सभी जानते हैं कि हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ मूत्र के जरिये बाहर निकलते हैं, यानी ये हमारे शरीर की गंदगी है जो बाहर निकलती है, इसलिए यह बेकार है। शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी में हुए शोध की मानें तो इंसान के यूरीन में बैक्टीरिया की लगभग 85 प्रजातियां होती हैं, इसमें से कई का प्रयोग बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। इनको यूरीनरी माइक्रोबायोटा कहते हैं जो संक्रमण संबंधी समस्याओं के उपचार में कारगर हो सकते हैं।

क्लींन शेव से आप लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन इससे जुड़ा एक मिथक भी है जिसे बहुत सारे लोग सही मानते हैं। वह यह कि नियमित रूप से शेविंग करने से बाल मोटे और काले होते जाते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, बाल नियमित रूप से बढ़ते रहते हैं और खानपान के अनुसार मोटे और पतले होते हैं। सही पोषण न मिलने के कारण बाल झड़ते हैं और सफेद भी होते हैं।

नींद में चलना खतरनाक है और इससे आपके साथ रहने वाले डर भी सकते हैं, कुछ को दिल का दौरा भी पड़ सकता है। जबकि स्लीपवॉकिंग एक तरह की समस्या है और इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को पता नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं। हां दूसरी जरूरी बात यह भी है कि नींद में चलने की समस्या से ग्रस्त इंसान को नींद में चलते वक्त उठाना नहीं चाहिए।

ठंड के मौसम में यह गलतफहमी लोगों को सच लगती है, क्योंकि भले ही हम बहुत अधिक कपड़े पहने हों लेकिन बिना टोपी के ठंड लगती है। जबकि ऐसा नहीं है, शरीर के सभी हिस्सों की कोशिकायें एक जैसी होती हैं। हमारे अंदर गर्मी और ठंडक का एहसास शरीर के सभी अंगों में एक जैसे ही होता है। तो यह गलतफहमी निकाल दीजिए कि दिमाग से अधिक गर्मी निकलती है।

दिमाग कितना शक्तिशाली है इसके बारे में अभी भी शोध हो रहे हैं। सामान्यतया यह माना जाता है कि हम अपने दिमाग का प्रयोग 10 प्रतिशत से अधिक नहीं कर पाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद प्राणियों में सबसे अधिक 20 प्रतिशत दिमाग डॉल्फिन प्रयोग करता है। इंसानों की बात करें तो सभी एक बराबर दिमाग का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अब तक सबसे अधिक दिमाग का प्रयोग (लगभग 8 प्रतिशत) महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने किया था।

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हाथों में ज्‍यादा पसीना आता है तो यह उपाय आजमाइये

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क्‍या आपके हाथों में भी अधिक पसीने आता है तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, क्‍योंकि आज हम आपकी समस्‍या को दूर करने के लिए कुछ घरेलू नुस्‍खे लेकर आये हैं।
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कई बार तनाव, लो ब्‍लड प्रेशर या हाइपरहाइड्रोसिस के कारण हाथों में बहुत पसीना आने लगता है। पसीना इतना ज्‍यादा होता है कि दूसरों के सामने शर्म आने लगती हैं। अगर आप भी इस समस्‍या से परेशान रहते हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, क्‍योंकि आज हम आपकी समस्‍या को दूर करने के लिए कुछ घरेलू नुस्‍खे लेकर आये हैं। हालांकि यह उपाय इस समस्‍या का परमानेंट इलाज नहीं हैं लेकिन इस समस्‍या को काफी हद तक दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं। तो देर किस बात की आइए हमारे साथ इन उपायों के बारे में जानें।

अगर हथेलियों में हल्‍का पसीना आता है तो पसीने वाली जगह पर आप टैल्‍कम पाउडर लगा सकते हैं, जोकि नमी को सोख लेता है। आप अपने बैग में पाउडर रख भी सकते हैं ताकी जरुरत पड़ने पर आप इसका इस्‍तेमाल आसानी से कर सकें।

जिन लोगों को हाथों में पसीना ज्‍यादा आता है उन लोगों को तेज पत्‍ते का इस्‍तेमाल करना चाहिए। इसक लिए थोड़ से तेज पत्ते लेकर पानी में बहुत अच्छी तरह से उबाल लेना चाहिए। और अच्छे से उबाल आ जाने पर इस पानी को ठंडा होने के बाद हथेलियों पर लगाना चाहिए। इसके अलावा कच्चे आलू की स्लाइस काटकर हथेलियों पर मलें। ऐसा करने पर आपके हाथों पर पसीना आना कम हो जाएगा।

गर्म पानी में थोड़ा सा बेकिंग सोडा मिला कर उसमें अपने पसीनेदार हाथों को डुबोएं। ऐसा केवल कुछ मिनट के लिये करें और फिर देखें कि इस घोल से हाथ निकालने के बाद आपको कई घंटो तक हाथों में पसीना नहीं आएगा। इसके अलावा एक बाउल में पानी डालकर उसमें 4-5 टी बैग डालिये और अपनी हथेलियों को भिगो दीजिये। यह प्राकृतिक रूप से आपके हाथों का पसीना कंट्रोल करेगी।

एल्‍कोहल में कॉटन को डूबोकर, उससे अपनी पूरी हथेलियों पर रगड़े। कुछ ही घंटो में हथेलियों का सारा पसीना सूख जाएगा। पर इस बात का खास ध्‍यान रखें कि इसे ज्‍यादा ना रगड़े नहीं तो आपकी त्‍वचा ड्राई हो जाएगी। या हमेशा अपने साथ एक अल्कोहल युक्‍त एंटीबैक्टीरियल हैंड सेनिटाइजर रखें ताकि अगर आपको हाथ धोने के लिए पानी ना मिले तो आप उसका इस्तेमाल कर सकें। थोड़े से अल्कोहल से आपके हाथ, कुछ देर के लिए ही सही, सूखे रहेंगे।

जिन लोगों को पसीना ज्‍यादा आता है, उन्हें रोजाना टमाटर का जूस पीना चाहिए। ऐसा करने से भी पसीना आना कम हो जाता है। इसके अलावा चाय या कॉफी छोड़ देनी चाहिए और उसकी जगह ग्रीन टी का इस्तेमाल करना चाहिए। ग्रीन टी पीने से पसीने आने की शिकायत ना के बराबर ही हो जाती है।

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पूजा के बर्तन रखते हैं आपको सवस्थ, जानें इसके साइंटिफिक कारण

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हिंदु धर्म में पूजा करने के लिए जिन बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है उसके महत्व की पुष्टि विज्ञान में भी की गई है। इन महत्व के बारे में जानें और स्वस्थ रहें।
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पूजा में तांबे के लोटे और पीतल की थाली का ही इस्तेमाल होता है। इसे लोग केवल मान्यता मानकर निभा रहे हैं जबकि इससे जो फायदे होते हैं उसकी पुष्टि विज्ञान में भी हो चुकी है। विज्ञान ने भी माना है कि तांबे और पीतल के बर्तन शुद्ध होते हैं जिससे कई सारे स्वास्थ्य फायदे होते हैं। तो आइए इस स्लाइडशो में जानें की कैसे पूजा के बर्तन हमें स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
पूजा करने के दौरान तांबे के ही लोटे का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से कई तरह के रोग दूर होते हैं। विशेषकर पेट से जुड़ी समस्याएं तांबे के बर्तन में रखे पानी को पीने से दूर हो जाती हैं। 
तांबे के लोटे में रखे पानी में तुलसी के कुछ पत्ते डाल दें। वैसे भी पूजा स्थान में तुलसी के पत्ते रखे जाने की परंपरा है औऱ भगवान को कोई भी भोग चढ़ाने से पहले उसमें तुलसी के पत्ते जरूर डाले जाते हैं। इसी से भगवान का भोजन पूरा होता है। इसलिए लोटे में रखे पानी में तुलसी के कुछ पत्तों को डालकर रखें। इस पानी को पीने से फेफड़े और गले की बामरियां दूर होती हैं।
तांबे के लोटे में रखा पानी पीने से त्वचा स्वस्थ बनी रहती है। क्योंकि इस पानी में पूजा की सकरात्मक ऊर्जा भी होती है और तांबे के तत्व के गुण भी आ जाते हैं जो त्वचा से जुड़ी बीमारियों से त्वचा की रक्षा करते हैं।
आज जब जल प्रदुषण के कारण स्वच्छ और शुद्ध पानी मिलना आसान नहीं है तब तांबे के लोटे में रखा पानी आपके लिए अमृत के समान साबित होगा। क्योंकि तांबे के लोटे में रखा पानी कीटाणुरहित और प्रदुषणरहित होता है। इस कारण ही पूजा के लिए तांबे का लोटा इस्तेमाल किया जाता है।
पूजा के दौरान भगवान को भोग लगाने के लिए पीतल की थाली का इस्तेमाल किया जाता है। पीतल के बर्तन में रखे खाने में पीतल के तत्व आ जाते हैं जो आपके कफ और कृमि रोग को खत्म कर देता है। पीतल के बर्तन में रखा खाना खाने से पेट में गैस की समस्या नहीं बनती।

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इन 7 कारणों से शरीर पर पड़ते हैं नील के निशान

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क्‍या आप भी शरीर पर पड़े नील के निशान से परेशान है? क्‍या यह निशान बिना किसी चोट के हर वक्‍त आपके शरीर पर दिखाई देते हैं? और आपको समझ में नहीं आ रहा कि आखिर यह निशान आपके शरीर पर क्‍यों दिखाई देते हैं, तो इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से आप इसके कारणों को जान सकते हैं।
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त्‍वचा पर चोट लगने से रक्‍त धमनियों को नुकसान पहुंचता है, जिससे शरीर पर नील के निशान पड़ जाते हैं। या आप कह सकते हैं कि चोट से खून रिसने और आसपास की कोशिकाओं में फैल जाने के कारण शरीर की नील के निशान के रूप में प्रतिक्रिया होती है। इसके अलावा नील के निशान बढ़ती उम्र, पोषण की कमी, हेमोफिलिया व कैंसर जैसे कई गंभीर बीमारियों के प्रभाव के कारण भी हो सकते हैं।  
रक्‍त के थक्‍कों और जख्‍मों को भरने में कुछ विटामिन और मिनरल अहम भूमिका होती हैं। इसलिए आहार में इन पोषक तत्‍वों जैसे विटामिन के, सी और मिनरल की कमी से शरीर पर नील के निशान दिखाई देने लगते हैं। विटामिन के खून को जमने में मदद करता है। साथ ही विटामिन सी त्वचा और रक्त धमनियों में अंदरूनी चोट लगने से बचाव करता है। इसके अलावा मिनरल जैसे जिंक और आयरन चोट को जल्‍द ठीक करने वाले आवश्यक मिनरल हैं। 
कैंसर में होने वाले कीमोथेरेपी के कारण भी शरीर पर नील के निशान दिखाई देने लगते है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि कीमोथेरेपी के कारण रोगी का ब्‍लड प्‍लेटलेट्स बहुत नीचे आ जाता है। और प्‍लेटलेट्स के नीचे आने से शरीर में बार-बार नील के निशान दिखाई देने लगते हैं। 
कुछ दवाइयों और सप्‍लीमेंट के इस्‍तेमाल के कारण भी शरीर पर नील के निशान पड़ने लगते हैं। वार्फेरिन और एस्पिरिन जैसे खून को पतला करने वाली कुछ दवाइयां के कारण खून जमने से रोक जाता है। इसके अलावा प्राकृतिक सप्‍लीमेंट जैसे जिन्‍को बिलोबा, मछली का तेल और लहसुन का अधिक इस्तेमाल भी खून को पतला कर देता है। जिससे कारण शरीर पर नील के निशान पड़ने लगते है।
हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता और बहुत अधिक रक्तस्राव की आशंका रहती है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है। अत्यधिक या बिना वजह से रक्तस्राव या नील पड़ना हीमोफीलिया का एक लक्षण है।
बुढ़े लोगों के हाथों के पीछे नील पड़ना बहुत ही सामान्य बात है। बुढ़े लोगों के नील के निशान इसलिए पड़ते हैं क्योंकि रक्त धमनियां इतने साल सूरज की रोशनी का सामना करते हुए कमजोर हो जाती हैं। ये नील के निशान लाल रंग से शुरू होकर, हलके बैंगनी और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
थ्रोम्‍बोफिलिया रक्त जमावट की विकृति जो थ्रोम्बोसिस (रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के) के खतरे को बढ़ा देती है। यानी थ्रोम्बोफिलिया एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है जिसमें प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते हैं। और प्‍लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता बहुत कम हो जाती है, जिससे कारण शरीर पर नील के निशान पड़ने लगते हैं।
वॉन विलीब्रांड डिजीज एक ऐसी अवस्‍था है, जो अत्यधिक या विस्तारित रक्‍तस्राव होने लगता है। वॉन विलीब्रांड नामक प्रोटीन के स्‍तर में रक्त की कमी के कारण यह बीमारी होती है। ऐसे में चोट लगने के बाद बहुत अधिक खून बहने लगता है। इस समस्या से पीड़ित व्‍यक्ति को छोटी सी चोट के बाद भी अक्सर शरीर में बड़े-बड़े नील के निशान दिखाई देने लगते हैं।

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रात में क्यों नहीं काटने चाहिए आपको नाखून? जानिए वजह

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शाम को ये सारे काम नहीं करने चाहिए। क्योंकि इससे धन के साथ स्वास्थ्य की भी हानि होती है।
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ये परंपरा पुराने जमाने से चली आ रही है। पुराने जमाने में बिजली नहीं होती थी और ना नेल कटर होता था। इस कारण पहले लोग ब्लेड, कैंची या चाकू से नाखून काटते थे। ऐसे में बिजली नहीं रहने के कारण इन चीजों से चोट लगने के डर से रात को नाखून नहीं काटने को कहा जाता था। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि रात में नाखुन काटने से लक्ष्मी जी रुष्ट हो जाती हैं जिससे धन की हानि होती है।
गुरुवार को अमूमन लोग शेविंग नहीं करते। यहां तक की गुरुवार को बाल भी नहीं काटे जाते। गुरुवार को बाल ना काटने की परंपरा इतनी अटूट और पुरानी है कि इस दिन पार्लर भी बंद ही रहते हैं। दरअसल गुरुवार को बृहस्पति यानी देवताओं के गुरु का दिन माना जाता है जो भाग्य का कारक होते हैं। ऐसे में मान्यता है कि जो लोग इस दिन शेविंग करते हैं या बाल काटते हैं उनका भाग्य खराब हो जाता है।
हिंदु परंपरा में शाम को तुलसी के पास दीपक जलाने की तो मान्यता है लेकिन उसे छूने और उसपर जल चढ़ाने की मान्यता नहीं है। रोज शाम को तुलसी के पास दीपक जलाने से घर में लक्ष्मी जी की कृपा होती है। वहीं शाम को तुलसी के पेड़ को छूने से लक्ष्मजी रुष्ट हो जाती है। क्योंकि शाम के समय तुलसी सोती है और आपके छूने से वो जग जाती है। खैर ये मान्यता तो हर पेड़-पौधों पर लागू होती है।
ये मान्यता भी पुराने समय से चली आ रही है। पहले बिजली नहीं रहती थी तो माना जाता था कि रात को झाड़ू लगाने से घर में गिरे पैसे बाहर जा सकते हैं। इसलिए शाम और रात को झाड़ू लगाना मना था। वैसे भी शाम को पूजा करने का समय होता है इसलिए भी शाम को झाड़ू लगाने की मनाही होती है। अगर झाड़ू लगाना जरूरी है तो शाम से पहले ही घर साफ कर लें।
शाम को सोना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी और पैसे की दृष्टि से भी अच्छा नहीं माना जाता। जो लोग नियमित रुप से शाम को सोते हैं, वे मोटापे और दरिद्रता के शिकार होते हैं। शाम को सोने से आलस्य बढ़ता है और आप शारीरित तौर पर कम एक्टिव रहते हैं जिससे मोटापा और अन्य बीमारियां होती हैं।

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पूजा करने के ये तरीके बदल देंगे आपकी जिंदगी!

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क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आपने ईश्वर से जो जैसा मांगा हो वो आपको ठीक वैसा ही गया हो? नहीं ना! अगर आप चाहते हैं कि आपकी पुकार भगवान तक पहुंचे तो आपको प्रार्थना करने के सही तरीके के बारे में पता होना चाहिए।
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इंसान चाहे किसी भी धर्म का हो ईश्वर की प्रार्थना जरूर करता है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि सबके तरीके और आस्था अलग होती है। कोई मंदिर जाकर ईश्वर की भक्ति करता है, कोई मस्जिद जाकर, कोई गुरुद्वारा तो कोई चर्च जाक ईश्वर को याद करता है। यहां तक कि नास्तिक लोग भी भले ही ईश्वर को मूर्ति के रूप में ना मानें लेकिन अच्छे कर्म कर या छोटे-बड़ों का आदर कर ईश्वर को याद जरूर करते हैं। अन्य धर्मों के मुकाबले हिंदू धर्म में पाठ-पूजा और ईश्वर की भक्ति कुछ ज्यादा होती है। लेकिन एक बात तो आपने जरूर माननी पड़ेगी कि ईश्वर हर किसी की प्रार्थना इतनी आसानी से सुनता भी नहीं है।
ये तो आपने सुना ही होगा कि ईश्वर को सच बोलने वाले बहुत पसंद होते हैं। इसका मतलब ये होता है कि जब आप सच बोल रहे होते हो तो भगवान की इबादत कर रहे होते हो। अच्छे कर्म करने का मतलब सच बोलना ही है। भगवान कभी नारियल चढ़ाने या धूप-अगरबत्ती करने से प्रसन्न नहीं होता है। बल्कि भगवान आपके कर्मों को देखकर प्रसन्न भी होते हैं और आपकी विनती भी सुनते हैं। इसलिए हमेशा सच बोलें।
भगवान को खोजने के लिए अमरनाथ या बद्रीनाथ जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि वहां भी वही भगवान है तो आपके अंदर है। ईश्वर हर इंसान में, हर कण-कण में वास करते हैं। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचारों का वास होता है। इसलिए खुद को स्वस्थ रखना और फिट रखना ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है। अगर आप ऐसा करते हैं तो भगवान आपकी विनती को सबसे पहले सुनेगा।
अपने आप पर भरोसा करने का मतलब है निरंतर संघर्ष करना और कभी हार ना मानना। ये बात इंसान को कभी नहीं भूलनी चाहिए कि सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं। ऐसा कभी नहीं हो सकता कि आपके जीवन में हमेशा सुख ही रहेगा या दुख ही रहेगा। वक्त के साथ परिस्थितियां बदलती है। अगर आप नकारात्मक परिस्थितियों में भी अपने आप पर भरोसा कर आगे बढ़ते हैं तो भगवान बहुत प्रसन्न होते हैं। दुख की घड़ी में कभी मूर्ति के आगे दीया जलाने या किस्मत का रोना रोने से कुछ नहीं होता।
बच्चे और बड़े भगवान का रूप होते हैं। जितना चढ़ावा और पैसा आप मंदिरों में चढ़ाते हैं उतना अगर किसी गरीब बच्चे या बेसहारा बुजुर्ग को देंगे तो ईश्वर की सच्ची भक्ति होगी। मंदिरों में चढ़ावे से आपको पंडित की कुटिल मुस्कान और खोखले आर्शीवाद जरूर मिल जाएंगे। लेकिन ईश्वर का आर्शीवाद मिलना मुश्किल है। बच्चे और बुजुर्गों का सम्मान और उन्हें जरूरत की चीजें देने से आत्मिक सुख तो मिलता ही है साथ ही भगवान आपके सारे बिगड़े काम बनाते हैं।
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चलते वक्त पर्सनेलिटी खराब करती हैं ये 4 गलतियां!

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कई बार हम सड़क पर चलते वक्त अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जिससे हमारी पर्सनेलिटी पर धब्बा लग जाता है।
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जब हम सड़क पर चलते हैं तो सिर्फ अपना सफर ही पूरा नहीं करते बल्कि हमारी चाल से हमारे व्यक्तित्व का भी पता चलता है। लड़के अधिकतर लड़कियों की चाल के कायल होते हैं। अगर किसी लड़की की चाल अच्छी है और वो सुंदर नहीं भी है तब भी लड़के ऐसी लड़की से शादी करने से पीछे नहीं हटते हैं। लेकिन कई बार हम सड़क पर चलते वक्त अनजाने में कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जिससे हमारी पर्सनेलिटी पर धब्बा लग जाता है।
 आज हम ऐसी 4 गलतियां बता रहे हैं जिन्हें सड़क पर चलते वक्त कभी नहीं करना चाहिए।आज हम जिन 4 गलतियों की बात कर रहे हैं उनमें से एक है सड़क पर चलते वक्त तेज-तेज हाथ हिलाना। कई लोगों की आदत होती है सड़क पर चलते वक्त तेज-तेज हाथ हिलाते हैं। 
ऐसी आदत वाले लोग ना तो कभी अच्छी चाल का टाइटल ले सकते हैं और ना ही कभी बेस्ट पर्सनेलिटी का कमेंट पा सकते हैं। अगर आपकी भी ये आदत है तो तुरंत छोड़ दें। सड़क पर चलते वक्त हाथ हमेशा धीरे-धीरे हिलाने चाहिए।
थूकते हुए चलना उस आदतों में से है जो हमें सीधा लोफर और टपोरी बना देती है। आपने चाहे कितने भी अच्छे कपड़े पहने हैं या आप कितने भी पढ़े लिखे हैं अगर आप सड़क पर चलते वक्त थूकते हैं तो ये आपके अशिष्ट व्यवहार में गिना जाता है।कई लोगों से आपने सुना होगा कि फलाने की पर्सनेलिटी बहुत अच्छी है। जब भी हम पर्सनेलिटी की बात करते हैं तो उसका सीधा मतलब हमारी चाल से होता ​​है। 
पर्सनेलिटी सिर्फ आपके कपड़ों, मेकअप और व्यवहार तक ही सीमित नहीं रहती। बल्कि आप सड़क पर कैसे चल रहे हैं, कैसे मुड़ रहे हैं, कैसे रूक रहे हैं, भीड़ में कैसे बिना किसी को टक्कर मारे चल रहे हैं इन सब पर निर्भर करती है। सड़क पर जल्दबाजी में एक दूसरे को टक्कर मारकर चलना आपकी छवि को बहुत खराब करता ​​है।
साभार - OnlyMyHealth
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इन चीजों के साथ दवाइयां खाते हैं तो सावधान हो जाएं

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अगर दवाओं का सेवन खाने की गलत चीजों के साथ किया जाये तो न केवल दवाएं बेअसर हो जाती है बल्कि यह सेहत के लिए खतरनाक भी हो सकती है। आइए जानें कौन सी खाने-पीने की चीजों को किन-किन प्रकार की दवाइयों के साथ मिक्‍स नहीं करना चाहिये।
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आजकल खराब लाइफस्‍टाइल, एक्‍सरसाइज में कमी और आहार में पोषक तत्‍वों की कमी के कारण हम में से शायद ही कोई ऐसा व्‍यक्ति हो जो दवाइयों का सेवन न करता हो। कोई मामूली सर्दी-जुखाम या कफ से परेशान हैं तो कोई डायबिटीज और ब्‍लड प्रेशर से। यानी हर कोई किसी न किसी रूप में दवाइयों का सेवन कर रहा है। यहां तक कि कुछ लोग तो जल्‍दी ठीक होने के लिए दूध जूस या चाय-कॉफी पीते-पीते भी दवाइयों का सेवन कर लेते हैं। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि कई ऐसी दवाइयां है जिनके साथ इन चीजों के सेवन से सेहत पर बुरा असर होने लगता है। जीं हां अगर दवाओं का सेवन खाने की गलत चीजों के साथ किया जाये तो न केवल दवाएं बेअसर हो जाती है बल्कि यह सेहत के लिए खतरनाक भी हो सकती है। आइए जानें कौन सी खाने-पीने की चीजों को किन-किन प्रकार की दवाइयों के साथ मिक्‍स नहीं करना चाहिये।
अगर आप डायबिटीज की दवा, पेनकिलर या एंटी-हिस्टामिन दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो इसके साथ शराब का सेवन करने से बचें। वैसे तो इन दवाइयों पर शराब सेवन ना करने की चेतावनी साफ लिखी होती है। शराब पीने से लीवर पर दबाव पड़ता है जिससे वह दवाइयों को तोड़ने में असमर्थ हो जाता है। इसके कारण नींद भी आ सकती है और अगर लीवर को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है तो लीवर को नुकसान भी हो सकता है।
केले के साथ ब्‍लड प्रेशर की दवा लेने से नुकसान हो सकता है। केले में पौटेशियम की मात्रा अधिक होने के कारण ब्‍लड प्रेशर की दवा खाने वाले लोगों में पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे उनकी दिल की धड़कन और घबराइहट बढ़ जाती है। इसलिए ब्‍लड प्रेशर की दवा के साथ केले का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा दिल की दवाओं के साथ मुलेठी का सेवन नही करना चाहिए। मुलेठी की जड़ें शरीर में पोटैशियम की मात्रा को घटाती हैं, जो कि हृदय रोगों के लिए खतरनाक है। शरीर में कम पोटैशियम की वजह से हार्ट फेलियर और दिल की लय का असामान्य रूप से बढ़ना और घटना लगा रह सकता है।
अगर आप एंटीकोअगुलांट्स (anticoagulants) यानी ब्‍लड को पतला करने वाली दवा का सेवन करते हैं तो हरी पत्‍तेदार सब्जियों के सेवन से बचें। क्‍योंकि हरी-पत्‍तेदार सब्‍जियों में विटामिन 'के' होता है जिससे ब्‍लड जमने लगता है। वारफ़रिन नामक दवा विटामिन 'के' से बचाने का काम करती है, लेकिन अगर आप दवा खाने के तुरंत बाद हरी सब्‍जियां खाते हैं तो दवा अपना काम करना बंद कर देती है।
कफ सीरप के साथ विटामिन सी युक्‍त आहार से बचना चाहिए। क्‍योंकि दवा के साथ संतरे का जूस लेने से मतिभ्रम या चक्‍कर आ सकते हैं। फल का असर आपके शरीर में 24 घंटों तक बना रहता है, इसलिये कफ सीरप के सेवन के द्वारा नींबू या संतरे के सेवन से दूर रहें।
अगर आप एंटीबायोटिक दवाएं खाते हैं तो दूध ना पियें। दवा के साथ दूध पीने से यह दवाइयां शरीर में ठीक प्रकार से घुल नहीं पाती और इनके साइड इफेक्‍ट भी देखने को मिलते हैं। इसलिए दवाइयों को खाना खाने के एक घंटे पहले या खाना खाने के दो घंटे के बाद पानी के साथ लेना चाहिए। इसके अलावा अस्‍थमा की दवा के साथ कॉफी के सेवन से बचना चाहिए क्‍योंकि दवा को कॉफी के साथ लेने से घबराहट, उत्‍तेजना और धड़कन बढ़ जाती है। 

साभार - OnlyMyHealth
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