शरीर के बारे में कई बातें ऐसी हैं जिनको लेकर आपको बहुत सी गलत जानकारी दी गई है, इनके बारे में जानने के लिए इस स्लाइडशो को पढ़ें।
किसी बात पर आंख मूंदकर विश्वास करना कहां तक सही है खासकर तब जब बात आपके शरीर से संबंधित हो। कई बार आपको लगता है कि यह बात बहुत ही रुचिकर है तो आप अकारण ही इसपर विश्वास कर लेते हैं जबकि विज्ञान इसे नकारता है। बचपन से लेकर अब तक आपके शरीर के बारे में बताये गई 90 से 95 प्रतिशत बातें गलत होती हैं। इंडियाना यूनिविर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की मानें तो 69 प्रतिशत सेक्स से संबंधित बातें गलत होती हैं। इस स्लाइडशो में हम आपको उन बातों के बारे में बता रहे हैं जो कि गलत हैं।
यह सभी जानते हैं कि हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ मूत्र के जरिये बाहर निकलते हैं, यानी ये हमारे शरीर की गंदगी है जो बाहर निकलती है, इसलिए यह बेकार है। शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी में हुए शोध की मानें तो इंसान के यूरीन में बैक्टीरिया की लगभग 85 प्रजातियां होती हैं, इसमें से कई का प्रयोग बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। इनको यूरीनरी माइक्रोबायोटा कहते हैं जो संक्रमण संबंधी समस्याओं के उपचार में कारगर हो सकते हैं।
क्लींन शेव से आप लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन इससे जुड़ा एक मिथक भी है जिसे बहुत सारे लोग सही मानते हैं। वह यह कि नियमित रूप से शेविंग करने से बाल मोटे और काले होते जाते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, बाल नियमित रूप से बढ़ते रहते हैं और खानपान के अनुसार मोटे और पतले होते हैं। सही पोषण न मिलने के कारण बाल झड़ते हैं और सफेद भी होते हैं।
नींद में चलना खतरनाक है और इससे आपके साथ रहने वाले डर भी सकते हैं, कुछ को दिल का दौरा भी पड़ सकता है। जबकि स्लीपवॉकिंग एक तरह की समस्या है और इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को पता नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं। हां दूसरी जरूरी बात यह भी है कि नींद में चलने की समस्या से ग्रस्त इंसान को नींद में चलते वक्त उठाना नहीं चाहिए।
ठंड के मौसम में यह गलतफहमी लोगों को सच लगती है, क्योंकि भले ही हम बहुत अधिक कपड़े पहने हों लेकिन बिना टोपी के ठंड लगती है। जबकि ऐसा नहीं है, शरीर के सभी हिस्सों की कोशिकायें एक जैसी होती हैं। हमारे अंदर गर्मी और ठंडक का एहसास शरीर के सभी अंगों में एक जैसे ही होता है। तो यह गलतफहमी निकाल दीजिए कि दिमाग से अधिक गर्मी निकलती है।
दिमाग कितना शक्तिशाली है इसके बारे में अभी भी शोध हो रहे हैं। सामान्यतया यह माना जाता है कि हम अपने दिमाग का प्रयोग 10 प्रतिशत से अधिक नहीं कर पाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद प्राणियों में सबसे अधिक 20 प्रतिशत दिमाग डॉल्फिन प्रयोग करता है। इंसानों की बात करें तो सभी एक बराबर दिमाग का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अब तक सबसे अधिक दिमाग का प्रयोग (लगभग 8 प्रतिशत) महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने किया था।
साभार - OnlyMyHealth
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घरेलू नुस्खे हिंदी में Health Tips in Hindi |
किसी बात पर आंख मूंदकर विश्वास करना कहां तक सही है खासकर तब जब बात आपके शरीर से संबंधित हो। कई बार आपको लगता है कि यह बात बहुत ही रुचिकर है तो आप अकारण ही इसपर विश्वास कर लेते हैं जबकि विज्ञान इसे नकारता है। बचपन से लेकर अब तक आपके शरीर के बारे में बताये गई 90 से 95 प्रतिशत बातें गलत होती हैं। इंडियाना यूनिविर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की मानें तो 69 प्रतिशत सेक्स से संबंधित बातें गलत होती हैं। इस स्लाइडशो में हम आपको उन बातों के बारे में बता रहे हैं जो कि गलत हैं।
यह सभी जानते हैं कि हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ मूत्र के जरिये बाहर निकलते हैं, यानी ये हमारे शरीर की गंदगी है जो बाहर निकलती है, इसलिए यह बेकार है। शिकागो की लोयोला यूनिवर्सिटी में हुए शोध की मानें तो इंसान के यूरीन में बैक्टीरिया की लगभग 85 प्रजातियां होती हैं, इसमें से कई का प्रयोग बीमारियों को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। इनको यूरीनरी माइक्रोबायोटा कहते हैं जो संक्रमण संबंधी समस्याओं के उपचार में कारगर हो सकते हैं।
क्लींन शेव से आप लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन इससे जुड़ा एक मिथक भी है जिसे बहुत सारे लोग सही मानते हैं। वह यह कि नियमित रूप से शेविंग करने से बाल मोटे और काले होते जाते हैं। जबकि ऐसा नहीं है, बाल नियमित रूप से बढ़ते रहते हैं और खानपान के अनुसार मोटे और पतले होते हैं। सही पोषण न मिलने के कारण बाल झड़ते हैं और सफेद भी होते हैं।
नींद में चलना खतरनाक है और इससे आपके साथ रहने वाले डर भी सकते हैं, कुछ को दिल का दौरा भी पड़ सकता है। जबकि स्लीपवॉकिंग एक तरह की समस्या है और इस बीमारी से ग्रस्त लोगों को पता नहीं होता कि वे क्या कर रहे हैं। हां दूसरी जरूरी बात यह भी है कि नींद में चलने की समस्या से ग्रस्त इंसान को नींद में चलते वक्त उठाना नहीं चाहिए।
ठंड के मौसम में यह गलतफहमी लोगों को सच लगती है, क्योंकि भले ही हम बहुत अधिक कपड़े पहने हों लेकिन बिना टोपी के ठंड लगती है। जबकि ऐसा नहीं है, शरीर के सभी हिस्सों की कोशिकायें एक जैसी होती हैं। हमारे अंदर गर्मी और ठंडक का एहसास शरीर के सभी अंगों में एक जैसे ही होता है। तो यह गलतफहमी निकाल दीजिए कि दिमाग से अधिक गर्मी निकलती है।
दिमाग कितना शक्तिशाली है इसके बारे में अभी भी शोध हो रहे हैं। सामान्यतया यह माना जाता है कि हम अपने दिमाग का प्रयोग 10 प्रतिशत से अधिक नहीं कर पाते हैं। पृथ्वी पर मौजूद प्राणियों में सबसे अधिक 20 प्रतिशत दिमाग डॉल्फिन प्रयोग करता है। इंसानों की बात करें तो सभी एक बराबर दिमाग का प्रयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसा माना जाता है कि अब तक सबसे अधिक दिमाग का प्रयोग (लगभग 8 प्रतिशत) महान वैज्ञानिक आइंस्टीन ने किया था।
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