Tuesday, 21 February 2017

इन 7 कारणों से शरीर पर पड़ते हैं नील के निशान

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क्‍या आप भी शरीर पर पड़े नील के निशान से परेशान है? क्‍या यह निशान बिना किसी चोट के हर वक्‍त आपके शरीर पर दिखाई देते हैं? और आपको समझ में नहीं आ रहा कि आखिर यह निशान आपके शरीर पर क्‍यों दिखाई देते हैं, तो इस स्‍लाइड शो के माध्‍यम से आप इसके कारणों को जान सकते हैं।
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घरेलू नुस्खे हिंदी में  Health Tips in Hindi

त्‍वचा पर चोट लगने से रक्‍त धमनियों को नुकसान पहुंचता है, जिससे शरीर पर नील के निशान पड़ जाते हैं। या आप कह सकते हैं कि चोट से खून रिसने और आसपास की कोशिकाओं में फैल जाने के कारण शरीर की नील के निशान के रूप में प्रतिक्रिया होती है। इसके अलावा नील के निशान बढ़ती उम्र, पोषण की कमी, हेमोफिलिया व कैंसर जैसे कई गंभीर बीमारियों के प्रभाव के कारण भी हो सकते हैं।  
रक्‍त के थक्‍कों और जख्‍मों को भरने में कुछ विटामिन और मिनरल अहम भूमिका होती हैं। इसलिए आहार में इन पोषक तत्‍वों जैसे विटामिन के, सी और मिनरल की कमी से शरीर पर नील के निशान दिखाई देने लगते हैं। विटामिन के खून को जमने में मदद करता है। साथ ही विटामिन सी त्वचा और रक्त धमनियों में अंदरूनी चोट लगने से बचाव करता है। इसके अलावा मिनरल जैसे जिंक और आयरन चोट को जल्‍द ठीक करने वाले आवश्यक मिनरल हैं। 
कैंसर में होने वाले कीमोथेरेपी के कारण भी शरीर पर नील के निशान दिखाई देने लगते है। ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि कीमोथेरेपी के कारण रोगी का ब्‍लड प्‍लेटलेट्स बहुत नीचे आ जाता है। और प्‍लेटलेट्स के नीचे आने से शरीर में बार-बार नील के निशान दिखाई देने लगते हैं। 
कुछ दवाइयों और सप्‍लीमेंट के इस्‍तेमाल के कारण भी शरीर पर नील के निशान पड़ने लगते हैं। वार्फेरिन और एस्पिरिन जैसे खून को पतला करने वाली कुछ दवाइयां के कारण खून जमने से रोक जाता है। इसके अलावा प्राकृतिक सप्‍लीमेंट जैसे जिन्‍को बिलोबा, मछली का तेल और लहसुन का अधिक इस्तेमाल भी खून को पतला कर देता है। जिससे कारण शरीर पर नील के निशान पड़ने लगते है।
हीमोफीलिया आनुवंशिक रोग है जिसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता और बहुत अधिक रक्तस्राव की आशंका रहती है। यह बीमारी रक्त में थ्राम्बोप्लास्टिन नामक पदार्थ की कमी से होती है। थ्राम्बोप्लास्टिक में खून को शीघ्र थक्का कर देने की क्षमता होती है। खून में इसके न होने से खून का बहना बंद नहीं होता है। अत्यधिक या बिना वजह से रक्तस्राव या नील पड़ना हीमोफीलिया का एक लक्षण है।
बुढ़े लोगों के हाथों के पीछे नील पड़ना बहुत ही सामान्य बात है। बुढ़े लोगों के नील के निशान इसलिए पड़ते हैं क्योंकि रक्त धमनियां इतने साल सूरज की रोशनी का सामना करते हुए कमजोर हो जाती हैं। ये नील के निशान लाल रंग से शुरू होकर, हलके बैंगनी और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
थ्रोम्‍बोफिलिया रक्त जमावट की विकृति जो थ्रोम्बोसिस (रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के) के खतरे को बढ़ा देती है। यानी थ्रोम्बोफिलिया एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है जिसमें प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते हैं। और प्‍लेटलेट्स कम होने के कारण शरीर की ब्लड क्लॉट की क्षमता बहुत कम हो जाती है, जिससे कारण शरीर पर नील के निशान पड़ने लगते हैं।
वॉन विलीब्रांड डिजीज एक ऐसी अवस्‍था है, जो अत्यधिक या विस्तारित रक्‍तस्राव होने लगता है। वॉन विलीब्रांड नामक प्रोटीन के स्‍तर में रक्त की कमी के कारण यह बीमारी होती है। ऐसे में चोट लगने के बाद बहुत अधिक खून बहने लगता है। इस समस्या से पीड़ित व्‍यक्ति को छोटी सी चोट के बाद भी अक्सर शरीर में बड़े-बड़े नील के निशान दिखाई देने लगते हैं।

साभार - OnlyMyHealth
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