Tuesday, 16 May 2017

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Friday, 17 March 2017

स्वाद नहीं सेहत भी बनाते हैं मसाले

भारत को मसालों का देश कहा जाता है। खाने में बहुतायत से प्रयोग होने वाले मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, लौंग, दालचीनी, गरम मसाला महज हमारे खाने को सुगंधित और लजीज ही नहीं बनाते बल्कि सेहत को भी दुरुस्त रखते हैं। आज हम आपको मसालों के फायदे के बारे में बता रहे हैं।
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क्यों बेहतर हैं मसाले:

प्राकृतिक रूप से तैयार मसाले केवल खाने को स्वादिष्ट ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं। लाल मिर्च को छोड़ दें तो मसालों में एंटी-आक्सीडेंट्स और कैंसररोधी तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

मसालों के बड़े-बड़े गुण:
इलायची
भारत समेत दुनिया भर में खाने में इलायची का इस्तेमाल होता है। इलायची में पाया जाने वाला तेल पाचन को बेहतर रखने में मददगार होता है।

दालचीनी
खाने के अलावा दालचीनी का टूथपेस्ट, माउथवाश और च्वुइंगम में भी प्रयोग होता है। दालचीनी में पाए जाने वाले यूजेनाल और सिनेमेल्डीहाइड दर्दनिवारक की तरह काम करते हैं। दालचीनी खून का बहाव और थक्का जमने की प्रक्रिया ठीक रखती है और जलन को दूर करती है। इसके अलावा दालचीनी डायबिटीज के इलाज में भी कारगर है।

लौंग
आमतौर पर खाने को सुगंधित बनाने के लिए लौंग का इस्तेमाल होता है। दांत का दर्द दूर करने में लौंग के तेल को शर्तिया इलाज माना जाता है। इसके अलावा लौंग में पाया जाने वाला यूजेनाल जलन व आर्थराइटिस (जोड़ों की बीमारी) के दर्द से निजात दिलाता है।

जीरा
दाल बघारने या चावल फ्राई करने में इस्तेमाल होने वाला जीरा पाचन ठीक रखने के साथ सूजन दूर करने में मददगार साबित होता है। खून साफ रखने में भी जीरा अहम भूमिका निभाता है। 

कुछ और भी जानिए: 
अनसफल (स्टार एनाइस) र्यूमेटिज्म (जोड़ों व टिश्यू की परेशानी) को दूर करने में कारगर है।
तेज पत्ते में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं।
एंटी-आक्सीडेंट्स की तरह प्रयुक्त होने वाला लहसुन हृदयरोगियों खासकर कोरोनरी आर्टरी (धमनी) के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है।
सर्दी-जुकाम और बुखार को दूर करने में तुलसी का कोई जवाब नहीं।
एंटीसेप्टिक की तरह प्रयुक्त होने वाली हल्दी अल्जाइमर्स (भूलने की बीमारी) रोकने में भी मददगार होती है।

काली मिर्च पाचन और भूख बढ़ाती है। वहीं राई (सरसों) में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड्स, लोहा, जिंक, मैंगनीज, कैल्शियम और प्रोटीन शरीर के लिए काफी जरूरी हैं।

साभार - OnlyMyHealth
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Saturday, 25 February 2017

रात में नींद नहीं आती तो 1 चम्‍मच सोने से पहले लें इसे...

यह घरेलू नुस्‍खा केवल दो सामग्रियों से मिल कर बनता है। साथ ही इसके कोई साइड इफेक्‍ट्स भी नहीं होते। तो आइये जानते हैं इसे कैसे बनाते हैं और कैसे सेवन करते हैं।

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जाते ही आपकी नींद छू मंतर हो जाती? क्‍या आप की नींद बीच रात में खुल जाती है और दुबारा आने का नाम नहीं लेती? अगर ऐसा है, तो परेशान ना हों क्‍योंकि यह हर किसी के साथ कभी ना कभी जरुर होता है।

लेकिन अगर यह समस्‍या लंबे समय तक बरकरार रहती है, तो आपको हेल्‍थ से जुड़ी काफी समस्‍या हो सकती है। आज हम अनिन्‍द्रा से जुड़ा एक घरेलू नुस्‍खा बताएंगे, जिसको नियमित आजमा कर आप चैन की नींद सो सकते हैं।

यह घरेलू नुस्‍खा केवल दो सामग्रियों से मिल कर बनता है। साथ ही इसके कोई साइड इफेक्‍ट्स भी नहीं होते। तो आइये जानते हैं इसे कैसे बनाते हैं और कैसे सेवन करते हैं।

सामग्री- 1 चम्‍मच सेंधा नमक
8 चम्‍मच कच्‍ची शहद
बनाने की विधि - इन दोंनो चीजों को मिक्‍स कर के एक जार में डाल लें और ढंक दें।
इसे कैसे करें प्रयोग?
हर रात सोने से कुछ मिनट पहले इस घरेलू मिश्रण को लें। आप जैसे ही इसे अपनी जीभ पर रखेंगे, यह वैसे ही मुंह में घुल जाएगी। यदि आप चाहें तो इसे हल्‍के गुनगुने पानी में मिला कर भी पी सकते हैं।


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डॉक्टर के पास जाने से पहले करें ये तैयारियां

स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी है संभावित स्वस्थ्य समस्या के लक्षणों पर नज़र रखना और समय पर डॉक्टरी मदद लेना, लेकिन डॉक्टर के पास जाने से पहले भी तैयारी की ज़रूरत होती है।
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घरेलू नुस्खे हिंदी में  Health Tips in Hindi

  • अधिकांश लोगों के लिए डॉक्टर के पास जाना एक मुश्किल प्रक्रिया होती है। रोगियों की भीड़ से भरे प्रतीक्षा कक्ष में इंतज़ार मानो ख़त्म ही नहीं होता और इसी थकाने वाले इंतज़ार की वजह से आपकी बीमारी की हालत को और बुरी होने लगती है और आप खुद को और ज्यादा बीमार महसूस करने लगते हो।  और जब इंतज़ार ख़त्म हो भी जाए तो बस डॉक्टर के कुछ मिनटों से ही तसल्ली करनी पड़ती है। ज़्यादातर मामलों ऐसा ही होता है, लेकिन डॉक्टर के इन कुछ मिनटों का भी भरपूर फायदा कैसे उठाया जा सकता है बशर्ते सही तैयारी की जाए। तो चलिये जाने कि डॉक्टर के पास जाने से पहले क्या तैयारी करें।
  • क्या थकान रहना कोई बीमारी है? या यह अन्य बीमारियों का एक लक्षण है? या फिर यह कुछ भी नहीं, बस मन का वह़म है? जब भी आपको लगातार लंबे समय तक थकान महसूस हो तो इस सिलसिले में अपने डॉक्टर से ज़रूर मिलें, और मिलने जाएं तो इन तीनों ही संभावनाओं के बारे में मन से तैयार होकर जाएं। 
    मेडिकल केयर में डॉक्टर के स्टाफों की भी अहम भूमिका होती है, और आपको चिकित्सा की कार्य-प्रणाली को समझने की ज़रुरत होगी तो स्टाफ मेंबर (रिसेप्शनिस्ट, नर्स या कोइ असिस्टेंट) के साथ आपका अच्छा सम्बन्ध बहुत सहायक साबित हो सकता है। तो उसके साथ भी सहज रहें। डॉक्टर के पास जाने से पहले होमवर्क करना ज़रूरी होता है। डॉक्टर के दिये समय का सही इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह तैयार हों। कई अध्ययनों से पता चलता है कि डॉक्टर के सामने हम अपनी कई समस्याएं रखना ही भूल जाते हैं। 
  • इसके लिए अपनी समस्याओं की पूरी सूची तैयार करें। इस प्रकार आप डॉक्टर को बिलकुल सटीक उपचार देने में मदद करेंगे।  बीमारी से जुड़े अपने सारे लक्षण सूचीबद्ध तरीके से डॉक्टर को बताएं। बीमारी का पहला लक्षण आपने कब महसूस किया, समस्या के संभव कारण क्या हैं आदि की सही जानकारियों से डॉक्टर को महत्वपूर्ण सुराग मिलते हैं। इसलिए सब कुछ बताएं और सच बताएं। अपने डॉक्टर से मिलने के बाद अपने मर्ज़ के बारे में पूछें। यह पूछने में हिचकें नहीं कि आपकी समस्या क्या है। कई डॉक्टर मरीजों को उनकी दिक्कतों का ठीक-ठीक नाम नहीं बताते, तो अगर आप यह सवाल नहीं पूछेंगे तो आपको सही जवाब नहीं मिलेगा। 
  •  यदि आप डॉक्टर के बताए उपचार से सहमत नहीं हैं, तो उन्हें यह खुल कर बताएं, क्योंकि यदि आप सहमत नहीं हैं तो उनके सलाहों और उपचार को ठीक से अपना भी नहीं पाएंगे। आपके डॉक्टर के पास हमेशा आपके सारे सवालों के जवाब हों, यह ज़रूरी नहीं है। लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि उपचार एक प्रक्रिया है और इसके लिए सही निष्कर्ष तक पहुंचना बहुत ज़रूरी है, जिसमें समय लग सकता है।  

  •   डॉक्टर के साथ चल रहे परामर्श सत्र के आखिर में अगली मीटिंग का समय तय करने की कोशिश करें। अगर अगला सत्र फोन पर किया जा सकता हो तो वैसा ज्यादा बेहतर होता है, तो ऐसा ही करने की कोशिश करें। ऐसा करके आप आपना वक्त और पैसा दोनों बचा पाएंगे।  डॉक्टर के साथ परामर्श के लिए जाते समय किसी करीबी या संबंधी को अपने साथ रखने की कोशिश करें, क्योंकि उनके साथ होने पर आपका आत्मविश्वास भी बना रहता है और वे ज़रूरी जानकारियां भी याद रहती हैं जो आप भल सकते हैं। वहीं उनके साथ होने से आपका तनाव कम होगा और आपको प्रासंगिक प्रश्न पूछने का भी साहस मिलेगा।  
  • आपको अपने सारे मेडिकल रिकॉर्ड और परीक्षणों की फोटोकॉपी साथ लेकर जाना चाहिए। ताकि ज़रुरत पड़ने पर आप डॉक्टर को इन्हें दिखआ सकें। लेकिन रिपोर्ट्स की मूल कॉपी हमेशा अपने साथ ही रखें। सुनिश्चित करें कि आप मेडिकल रिकॉर्ड में मौजूद सारी जानकारियों को ठीक प्रकार से समझते हैं। 














  • यदि थकान किसी अन्य बीमारी की वजह से होती है तो और लक्षण भी ज़रूर होते हैं। कई बार थकान इतनी ज्यादा हो जाती है कि हम इसकी वजह से दूसरे छोटे-मोटे लक्षणों पर ध्यान ही नहीं दे पाते। इसलिए सभी लक्षणों पर ध्यान दें और डॉक्टर को पूरी बात बताएं। 



























साभार - OnlyMyHealth
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इन 8 संकेतों से जानें स्‍कूल में आपका बच्‍चा किया जा रहा परेशान

स्कूल में कभी बगल वाली सीट पर बैठने वाले दोस्त का पेंसिल बॉक्स छीन लेना तो कभी आगे बैठे स्टूडेंट को दिन भर किसी न किसी बहाने से तंग करना, सुनने में तो ये बहुत मामूली सी बातें लगती हैं लेकिन असल में यह बुलिंग है।
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आपने कभी सोचा है स्कूल जाने के नाम पर आपका बच्चा क्यों डर जाता है और नाक मुंह सिकोड़ने लगता है। महज डांटकर उसे स्कूल भेज देने भर से आपकी जिम्मेदारी पूरी नहीं होती। स्कूल में आपके बच्चे के दोस्त कहीं अनजाने में ही सही उसे परेशान तो नहीं कर रहे। आप बच्चे की पढ़ाई पर तो पूरा ध्यान देते हैं पर क्या इन छोटी-छोटी बातों पर भी आपकी नजर रहती है। आइये जानते हैं कि बच्चों के किन 8 संकेतों से आप जान सकते हैं कि वो स्कूल में बुलिंग का शिकार हो रहे हैं।
स्कूल से आने के बाद अगर आपके बच्चे के शरीर पर आपको कुछ चोटें दिखती हैं तो उन्हें अनदेखा न करें। अक्सर पेरेंट्स बच्चे की छोटी मोटी चोट को ये सोचकर दरकिनार कर देते हैं कि बच्चों को खेलते वक्त चोटें लगती हैं। लेकिन अगर आपके बच्चे को अक्सर खरोंच, छिलने कटने जैसे चोट लगती है जिसका कारण वो ठीक से आपको नहीं बता पा रहा तो हो सकता है कि आपका बच्चा स्कूल में बुली का शिकार हो रहा हो।
बच्चे स्वभाव से चंचल होते हैं, बने बनाए रूटीन से अक्सर उन्हें ऊब हो जाती है तो वो स्कूल जाने से इनकार करते हैं लेकिन अगर आपका बच्चा रोज रोज स्कूल जाने से मना करता है, तो हो सकता है उसे स्कूल में सताया जा रहा हो। आपके बच्चे की स्कूल न जाने की जिद के पीछे ये कारण भी हो सकता है।
अगर आपका होशियार बच्चा अचानक खराब ग्रेड लाने लगे, उसके टेस्ट में अक्सर कम नंबर आएं और वो पढ़ाई में मन न लगा पाए तो ध्यान दे, ये संकेत हो सकता है इस बात का कि आपके बच्चे को स्कूल में परेशान किया जा रहा है। ये स्कूल बुलिंग का सबसे सामान्य लक्षण है।
आपका बच्चा स्कूल से लौटकर आपसे कोई बात नहीं करता। सीधा अपने कमरे में जाकर लेट जाता है या आपके कुछ पूछने पर चिड़चिड़ा हो जाता है तो आपको सावधान होने की जरूरत है। हो सकता है आपके बच्चे के साथ स्कूल में कुछ गलत हो रहा हो जिसकी वजह से वो भारी तनाव में आने लगा हो।
बच्चे अक्सर अपने स्कूल को लेकर अच्छी बुरी बातें करते रहते हैं। ये बच्चों की सामान्य आदत में से एक है। लेकिन अगर आपका बच्चा अपने स्कूल के बारे में सिर्फ नफरत भरी बातें करता है, वो स्कूल से हमेशा खफा-खफा रहता है तो आपको इस बात को गंभीरता से लेने की जरूरत है। हो सकता है कि स्कूल की कोई बात उसे इतनी तंग करती हो कि उसे स्कूल से ही नफरत होने लगी हो।
बच्चों की आदत होती है कि वो अपने स्कूल के बारे में अपने पेरेंट्स को बताते रहते हैं। लेकिन जब आपका बच्चा अपने स्कूल से जुड़ी किसी भी बात पर चर्चा करने से इनकार कर दे, स्कूल का नाम आने पर वो यहां वहां बहाने से चले जाए तो हो सकता है कि स्कूल में जो हो रहा है उसकी वजह से वो परेशान है। वो स्कूल की चर्चा तक नहीं करना चाहता। बच्चे के इस लक्षण को गंभीरता से लें।
अगर किसी बच्चे के साथ स्कूल में बुलिंग होती है तो देखा जाता है कि इसका प्रभाव बच्चे के अन्य लोगों के साथ संबंधों पर पड़ने लगता है। मसलन, बच्चा अपने पड़ोसी दोस्त से बेवजह गुस्सा हो जाता है, अपने बड़े भाई या बहन से बहुत डरने लगता है या फिर उनसे बातचीत कतरे से कतराता है। बच्चे को भीड़ वाली जगह में जाने से घबराहट भी हो सकती है।
स्कूल में बुलिंग के शिकार बच्चों की खाने-पीने संबंधी आदतें भी बदल सकती हैं। बच्चा खाना बहुत कम कर सकता है या फिर उसे बहुत ज्यादा भूख लगने लग सकती है। अगर ऐसा हो रहा है तो आप अपने बच्चे से बात करने की कोशिश करें, समझने की कोशिश करें कि ऐसा क्यों हो रहा है।

साभार - OnlyMyHealth
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इन 6 आश्‍चर्यजनक बीमारियों के बारे में बताते हैं आपके हाथ

हाथ शरीर के सबसे ज़रूरी अंगों में से एख होता हैं, अधिकतर कामों को करने में हाथों की बेहद अहम भूमिका होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हाथ कई आश्‍चर्यजनक बीमारियों के बारे में भी बताते हैं। चलिये जानें -
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एक आर्थराइटिस व रूमटिज़म स्टडी के मुताबिक जिन महिलाओं में अनामिका उंगली (रिंग फिंगर) की लम्बाई उनकी तर्जनी उंगली (इंडेक्स फिंगर) से अधिक होती है, में घुटनों का ऑस्टियोआर्थराइटिस होने की संभावना दोगुनी होती है। एस्ट्रोजन का कम स्तर इसका एक कारक हो सकता है। वहीं पुरुषों में लंबी अनामिका उंगली (दूसरी तिमाही के दौरान गर्भाशय टेस्टोस्टेरोन वृद्धि का संकेत) को अधिक बच्चों और महिलाओं के साथ बेहतर रिश्ते होने से जोड़ कर देखा जाता है, लेकिन ऐसा होने पर उनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है।
हाथ कांपना बहुत ज्यादा कैफीन या फिर कुछ क्रिएटिन मेडिसन जैसे अस्थमा की दवाओं या एंटीड्रिप्रेशन के साइड इफेक्ट का परिणाम हो सकता है। लेकिन यदि ऐसा लगातार हो रहा है तो बेहतर होगा कि आप अ पने डॉक्टर से इस बारे में बात करें। सिर्फ एक हाथ का कांपना पार्किंसंस रोग की शुरुआत का एक लक्षण भी हो सकता है।
जब भारतीय शोधकर्तओं ने क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित 100 रोगियों की शोध की तो उन्होंने पाया कि 36 प्रतिशत रोगियों के नाखूनों के नीचे का हिस्सा सफेद और ऊपर का भूरे रंग का था। नाखूनों की ये स्थिति कुछ हार्मोनों का स्तर या एनीमिया एनीमिया बढ़ा होने के कारण हो सकती है। ये दोनों ही क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण होते हैं। अगर आपको आधे नाखून का रंग बदला या नाखूनों के नीचे के आधार पर ऊर्ध्वाधर पट्टी दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से मिलें, ये यह मेलेनोमा, जो कि एएक त्वचा कैंसर है, हो सकता है।  
17 देशों में लगभग 140,000 वयस्कों पर हुई लैंसेट स्टडी के अनुसार हाथों की कमज़ोर पकड़ दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा तथा जीवित रहने की कम संभावना होने का इशारा करती है। हाथों की पकड़ की मजबूती समग्र मांसपेशियों की ताकत और फिटनेस के लिए एक मार्कर है। शोधकर्ता, हृदय रोग के जोखिम को कम करने के लिए पूरे शरीर के लिये स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और एरोबिक एक्सरसाइज की सलाह देते हैं।
पीढ़ी चिपचिपा हाथ रजोनिवृत्ति या थायराइड की स्थिति का एक लक्षण हो सकता है। साथ ही यह लक्षण हाइपरहाइड्रोसिस का भी हो सकते हैं, जिसमें पसीने की ग्रंथियों से आवश्यक से अधिक पसीना आता है। इससे ग्रस्थ अधिकांश लोगों को शरीर के केवल एक या दो भागों जैसे कांख, हथेलियों या पैर से पसीना आता है। ऐसे में डॉक्टर पसीने के उत्पादन को कम करने के लिये स्वेदरोधक (antiperspirant) दे सकता है।
जब ब्रिटीश शोधकर्ताओं ने 139 फिंगरप्रिंट्स की जांच की तो पाया कि एक या अधिक अंगुलियों पर वोर्ल (घुमावदार) पैटर्न फिंगरप्रिंट्स वाले लोगों को  
वृत्त-खंड या कुंडली (arches or loops) के फिंगरप्रिंट्स वाले लोगों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर होने संभावना थी।

साभार - OnlyMyHealth
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आपके कलाई की रेखाओं में छुपा है आपके स्वास्थ्य का राज

पहली लाइन जब टूटी हो
अगर आपके कलाई में तीन रेखाएं है और उसमें से पहली रेखा टूटी हुई और हल्की हो तो ये कमजोर स्वास्थ्य की निशानी है। आपका स्वास्थ्य जीवन भर खराब रहेगा।
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महिला की जब टूटी हो लाइन
अगर किसी महिला के कलाई में तीन लाइन हो और उसमें से पहले लाइन टूट कर अंदर की तरफ हथेली में जा रही है तो उस महिला को प्रेगनेंसी से संबंधित समस्या हो सकती है।

पुरुष की हो जब लाइन टूटी
अगर किसी पुरुष की कलाई की पहली लाइन टूटी है तो उसके जिंदगी में एक बार उसकी बहुत ज्यादा तबियत खराब होगी। साथ ही उसे लो स्पर्म काउंट की समस्या होगी। इन्हें प्रोस्टेट ग्लैंड से भी जुड़ी समस्या होती है।

अच्छे जीवन की निशानी
जिस इंसान की कलाई में तीन रेखाएं हैं और दूसरी लाइन डार्क रंग में और साफ हो तो ये उसके अच्छे स्वास्थ्य की निशानी है। ऐसे लोगों की मेमोरी पावर अच्छी होती है जिसके कारण ये अच्छा काम करते हैं और जीवन में अच्छा पैसा कमाते हैं।

प्रसिद्धि की है सूचक
कलाई पर तीन रेखाएं कम ही इंसानों की होती हैं। लेकिन ये जिस भी इंसान के हाथों में होती है उसे आगे चलकर जीवन में बहुत सारी प्रसिद्धि मिलती है। ऐसे इंसान की संवादशक्ति काफी अच्छी होती है और वो काफी एक्टिव रहता है। जिसके कारण ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में काफी सफलता अर्जित करते हैं।

पैसा, नाम और सफलता
किसी भी इंसान की कलाई में चार रेखाएं नहीं होती हैं। लेकिन जिसकी कलाई में चार रेखाएं होती हैं उसे मनचाहा जीवन मिलता है। ऐसे लोग ताउम्र स्वस्थ रहते हैं और जिंदगी भर काम करते रहते हैं।

अगर हो एक लकीर
ये अच्छे स्वास्थ्य की निशानी नहीं है। जिस इंसान के कलाई पर केवल एक लकीर होती है वो जीवन भर बीमार रहता है और जिंदगी में कोई ना कोई उसे लाइलाज बीमारी जरूर होती है। इसके कारण उसके पास हमेशा पैसों की कमी रहती है।

साभार - OnlyMyHealth
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बुखार में ठंडे पानी की पट्टियां सिर पर रखना सही है या गलत

क्या बुखार में ठंडे पानी की पट्टियां रखने से वैज्ञानिक तौर पर भी फायदा होता है? अगर हां तो कितना, क्‍या बुख़ार होने पर ठंडे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए? चलिये विस्तार से जानें।
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हम बचपन से देखते आ रहे हैं कि जब कभी भी बुखार आता है तो मां सिर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखती है। लोग सलाह भी देते हैं कि बुख़ार उतारने के लिए ठंडे पानी की पट्टियां रखें। लेकिन क्या बुखार में ठंडे पानी की पट्टियां रखने से वैज्ञानिक तौर पर भी फायदा होता है? अगर हां तो कितना, क्‍या बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टियां रखना सही है, चलिये आज इस बारे में विस्तार से जानते हैं -

जब बुखार 101 डिग्री फैरेनहाइट से ऊपर जाता है तो स्थिति गंभीर हो जाती है। और फिर इसके 103 डिग्री फैरेनहाइट तक पहुंचने पर बहुत ज्यादा घबराहट होती है। ऐसे में डॉक्टर बुखार के लिए दवाएं तो देते हैं लेकिन कई बार दवाएं खाने के बावजूद शरीर का तापमान सामान्य नहीं होता है। ऐसे में ठंडे पानी की पट्टियों या स्पंज को माथे पर रखने से बुखार को कम करने की कोशिश की जाती है।

जब बुखार 102 डिग्री फैरेनहाइट से उपर जाए तो उसे नियंत्रित करना ज़रूरी हो जाता है नहीं तो इससे दौरा भी पड़ सकता है। ठंडे पानी की पट्टियां या स्पंज करने से तापमान कम करके मरीज़ को राहत पहुंचाई जा सकती है। छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों के साथ ये तरीका अपनाया जा सकता है क्योंकि उन्हें बुखार बहुत तेज होने पर दौरा पड़ने का आशंका अधिक रहता है।

पट्टी करने के लिये बर्फ के पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। इसके लिये हमेशा ताज़ा पानी ही लें। डॉक्टर रमन कुमार के अनुसार सिर्फ सिर, माथा और हथेली पर पानी की पट्टियां रखने से फायदा अधिक नहीं होगा, इसके लिए पूरे शरीर में स्पंज या पट्टियां करनी चाहिए। बल्कि अगर मरीज़ बहुत ज्यादा कमज़ोरी महसूस न कर रहा हो तो उसे नहाना भी चाहिए। इससे उसका तापमान सामान्य होता है।

बर्फ के पानी का इस्तेमाल केवल तभी करना चाहिए जब बुखार 104 से105 डिग्री फैरेनहाइट तक हो गया हो। ध्यान रहे कि स्पंजिंग बुखार के लिए स्थायी उपचार नहीं है बल्कि तापमान को सामान्य करने का तरीका है। बैक्टीरिया आ वायरस से लड़ने के लिए शरीर को उचित दवाओं की आवश्यकता होती है। इसलिए डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिये।

साभार - OnlyMyHealth
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विदेश पढ़ने जा रहे हैं तो इन 5 बातों का रखें खास ध्यान

हमारे देश से हर साल हजारों बच्चे विदेश में पढ़ने के लिए जाते हैं। कई बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं तो कुछ बच्चे शौक के लिए जाते हैं। आज हम आपको ऐसी 7 बातें बता रहे हैं जिन्हें विदेश जाने से पहले जरूर पढ़ें।
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घरेलू नुस्खे हिंदी में  Health Tips in Hindi

  • भारत से बाहर अगर आप किसी भी देश में पढ़ाई के लिए जा रहे हैं तो पहले उक्त संस्थान की अच्छी तरह जांच-पड़ताल कर लें। कई बार कुछ फर्जी संस्थान भी होती हैं जो तरह-तरह के प्रलोभन देकर हमें विदेश तो बुला लेते हैं, लेकिन बाद में हमारा फायदा उठाते हैं। इसलिए जाने से पहले बारीकी से जांच कर लें।




वैसे तो कई देश ऐसे हैं जो अच्छी यूनिवर्सिटीज तथा कॉलेज के लिए जाने जाते हैं। इसलिए ऐसे सही देशों का ही चुनाव करें। देश ऐसा होना चाहिए जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सके और अच्छी शिक्षा के साथ आपका मनोबल भी बढ़ा सके।

अधिकतर सभी विश्वविद्यालय बाहर से आने वाले अच्छे और लायक बच्चों को छात्रवृत्ती के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। लेकिन कई विश्वविद्यालय ये सुविधा नहीं भी देते हैं।  इसलिए विदेश जाने से पहले विश्वविद्यालय से इस की पूरी जानकारी ले लें कि वहां छात्रवृत्ती यानि कि स्कॉलरशिप की सुविधा है या नहीं। इससे आपका काफी खर्चा बच सकता है।

कई विश्वविद्यालय अनुभवी और होनहार बच्चों को पढ़ाई पूरी होते ही नौकरी की सुविधा भी देते हैं। इतना ही नहीं वे फोन पर, ईमेल पर या आमने-सामने मिल कर छात्रों को सही कोर्स तथा करियर चुनने में भी मदद करते हैं। विदेश जाने से पहले छात्रों को इस विषय पर भी चर्चा करनी चाहिए।

अगर आपको विदेश जाना है तो स्वाभाविक सी बात है कि आपको वीजा की जरूरत होगी। इस बात को सुनिश्चित कर लें कि जितने साल के लिए आप पढ़ने जा रहे हैं उस दौरान आपको वीजा के संबंध में कोई दिक्कत तो नहीं होगी। इसके अलावा सभी जरूरी दस्तावेजों तथा आवश्यक स्वीकृतियों को भी समय से हासिल कर लें। इनमें देरी होने पर आपको समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

साभार - OnlyMyHealth
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ट्रेवलिंग के दौरान हेल्दी रहने के लिए ये 5 चीजें खाएं

घूमना-फिरना हर किसी को पसंद है लेकिन इस घूमने-फिरने के बाद हालत बहुत खराब हो जाती है और कईयों की तो ट्रेवलिंग के बाद तबियत भी खराब हो जाती है। अगर आपकी भी यही स्थिति होती है तो ट्रेवलिंग के दौरान ये चीजें खाएं। ये चीजें आपको हेल्दी रखेंगी।
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घरेलू नुस्खे हिंदी में  Health Tips in Hindi

  • सूखे मेवों में बादाम, किशमिश, छुहारे, अंजीर, काजू, पिस्ता आते हैं। इन चीजों को एक साथ मिक्स करें और अपने बैग कर लें। ट्रेवलिंग के दौरान जब भी भूख लगे तो बाहर से जूस लें और जूस के साथ इन्हें खाएं। ये आपको पूरे दिन भर एनर्जेटिक रखेंगे और शरीर में पोषक-तत्वों की कमी भी नहीं होने देंगे। 
  • नोट- इन सूखे मेवों में बादाम कम और अंजीर अधिक रखें। क्योंकि बादाम गर्म करते हैं। वहीं अंजीर के सेवन से सिरदर्द की समस्या नहीं होती जो सामान्य तौर पर ट्रेवलिंग के दौरान लोगों को होती है।







ट्रेवलिंग के दौरान अपने बैग में फलों का पैकेट रख लें। लेकिन केला नहीं। क्योंकि वो थोड़ी सी गर्मी में ही खराब हो जाते हैं। सेब और संतरे रखें। ये ज्यादा दिन तक चलेंगे भी और ये आपको हाइड्रेट भी रखेंगे।

घूमने जाने के दौरान अपने लिए खूब सारे सेंडविच बनाकर रख लें। अगर अधिक गर्मी पड़ रही है तो ब्रेड का पैकेट, मक्खन, पालक-मटर और अपनी पसंदीदा सब्जी रख लें। औऱ जब भी भूख लगे तो सेंडविच बना कर खा लें। ये टेस्टी भी होंगे और हेल्दी भी।

ट्रेवलिंग के दौरान रोटी-सब्जी किसी को खाने मन नहीं करता और इसलिए कोई बनाकर ले भी नहीं जाता। ट्रेवलिंग के दौरान लोग सबसे ज्यादा चाट का मजा लेते हैं। लेकिन कभी-कभी ये चाट आपको फुड प्वाजनिंग भी कर देती है। इस स्थिति से बचने के लिए वेजीटेबल चाट बनाकर अपने साथ रख लें। इससे आपके शरीर में पानी की कमी भी नहीं होगी और आपके चटपटा खाने की तमन्ना भी पूरी हो जाएगी।

इन सब चीजों के अलावा अपने लिए चॉकलेट्स का डिब्बा रखना ना भूलें। क्योंकि घूमने-फिरने के दौरान लोगों में सबसे ज्यादा ब्लड प्रेशर लो होने की समस्या होती है। इसलिए बी पी को मेंटेन रखने के लिए अपने पास चॉकलेट बॉक्स जरूर रखें। चॉकलेट्स का एक और फायदा है। ये आपकी त्वचा को धूप की पैराबैंगनी किरणों से बचाने का भी काम करती है।
नोट- इन सब चीजों के साथ अपने साथ पानी की बोतल रखना ना भूलें। आप पानी की बोतल खरीद सकती हैं। लेकिन फिर भी हमेशा घर से पानी की बोतल लेकर निकलें।


साभार - OnlyMyHealth
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