Monday, 13 February 2017

‘पान खाइए, कैंसर भगाइए’ – Chewing betel leaf may help fight cancer

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जो लोग पान खाने की आदत से छुटकारा चाहते हैं, वे इस पर फिर से विचार कर सकते हैं. एक नए शोध के अनुसार पान चबाने की आदत एक खास तरह के कैंसर के खिलाफ जंग में मद्दगार हो सकती है. 


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भारत के कुछ शीर्ष शोध संस्थानों के शोधकर्ताओं का दावा है कि पान के पत्ते में एक खास तरह का तत्व पाया जाता है जो जानलेवा क्रॉनिक माइल्वॉयड ल्युकेमिया (सीएमएल) से ग्रस्त मरीजों की कैंसररोधी क्षमता बढ़ा सकता है. कोलकाता स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हेमैटोलॉजी एंड ट्रांसयूजन मेडिसीन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी (आईआईसीबी) और पीरामल लाइफ साइंसेज, मुंबई के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि पान के पत्ते कैंसररोधी होते हैं. 

आईआईसीबी में डिपार्टमेंट ऑफ कैंसर बायोलॉजी एंड इनलेमेटरी डिसॉर्डर्स के सांतू बंद्योपाध्याय ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा, ‘पान के पत्तों से प्राप्त मादक तत्व का एक बड़ा संघटक है हाइड्रॉक्सिकेविकोल (एचसीएच) जो ल्युकेमिया रोधी है.’ यह शोध निष्कर्ष फ्रांटियर्स इन बायोसाइंस (एलिट एडिशन) नामक प्रतिष्ठित जर्नल में 2011 में छपी एक गहन रिपोर्ट पर आधारित है. जापनीज कैंसर एसोसिएशन के इस आधिकारिक जर्नल में छपी अध्ययन रिपोर्ट को इन शोधकर्ताओं ने बेहद विश्वसनीय करार दिया है. 

शोधकर्ताओं के अनुसार एचसीएच न सिर्फ कैंसरयुक्त सीएमएल कोशिकाओं को मारता है, बल्कि दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर चुकी कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है. यह तत्व इंसान की प्रतिरोधी क्षमता के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले पेरिफेरल ब्लड मोनोक्यूक्लियर सेल्स (पीबीएमसी) को कम से कम नुकसान पहुंचाते हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है. 

उल्लेखनीय है ल्युकेमिया मुख्यत: वयस्कों का रोग है, जिसके करीब 100,000 मामले हर साल भारत में प्रकाश में आते हैं. रक्त और अस्थि मज्जा की यह जानलेवा बीमारी अमूमन अधेड़ावस्था में जकड़ती है. इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति में श्वेत रक्त कोशिकाओं के निर्माण की दर असामान्य रूप से तेज हो जाती है और सामान्य दवाओं का शरीर पर असर नहीं होता है. 

हर साल हजारों लोग इससे मरते हैं. इमैटिनीब नामक दवा इस रोग के इलाज में काफी कारगर है, पर शरीर में टी 3151 नामक म्यूटेशन प्रक्रिया के पैदा होने से यह दवा काम करना बंद कर देती है. कोई भी ऐसी दवा फिलहाल मौजूद नहीं है जो इस अवरोधक म्यूटेशन या संक्रिया को घटित होने से रोक सके. 

नए शोध के अनुसार पान के पत्ते में मौजूद एचसीएच दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो चुकी कैंसर कोशिकाओं को स्वत:-विखंडन प्रक्रिया से गुजरने के लिए प्रेरित करता है जिसे एपेप्टोसिस कहते हैं. यह प्रक्रिया इन जिद्दी कैंसर कोशिकाओं को कमजोर कर ल्युकेमिया के इलाज का रास्ता साफ करती है. 

साभार - HZ
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